आईसीएआर एनबीएफजीआर द्वारा सजावटी मत्स्य पालन पर कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

लखनऊ, कैनविज टाइम्स संवाददाता। ‘मिशन नवशक्ति’ के तहत आईसीएआर एनबीएफजीआर द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र, कटिया, सीतापुर के सहयोग से 22-23 अगस्त के दौरान महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्यों और किसानों के लिए आजीविका और आय सृजन के लिए सजावटी मत्स्य संसाधनों पर कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। ज्ञान भागीदार एक्वावर्ल्ड, लखनऊ, हाईटेक मत्स्य पालन और किसान ज्ञान केंद्र, बाराबंकी ने भी कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इसका उद्देश्य सफल हब-एंड-स्पोक मॉडल को दोहराना था, जिसमें बाराबंकी के धनकुट्टी गांव में पहले लागू की गई मत्स्य बैंक अवधारणा को शामिल किया गया और सीतापुर में एक क्लस्टर प्रारूप में इसका विस्तार किया गया। हालांकि कार्यक्रम ने शुरू में 50 अनुसूचित जाति एसएचजी महिला प्रतिभागियों को लक्षित किया, लेकिन यह संख्या बढ़कर 66 हो गई, जो आजीविका उन्नयन हेतु कौशल प्राप्त करने के लिए उनके प्रबल उत्साह को दर्शाती है। महिला प्रतिभागियों के साथ, एससी समुदाय के किसानों को एक बुनियादी स्टार्टअप किट भी प्रदान की गई जिसमें 50 लीटर का आइसबॉक्स, यूएसबी मोबाइल चार्जर के साथ सोलर लाइट और एक वजन मशीन शामिल थी। ये उपकरण स्वच्छता और विपणन दक्षता दोनों में सुधार करते हैं, आइसबॉक्स मछली की ताजगी बनाए रखता है, खराब होने से बचाता है, और बाजार में सुरक्षित परिवहन सुनिश्चित करता है, सौर प्रकाश डिजिटल संचार और विपणन के लिए फोन को चार्ज करते हुए कम रोशनी की स्थिति में मछली को संभालने के लिए विश्वसनीय प्रकाश व्यवस्था प्रदान करता है, और वजन मशीन सटीक बिक्री लेनदेन, उचित मूल्य निर्धारण और मानकीकृत पैकेजिंग सुनिश्चित करती है। इसके पीछे सजावटी मछली पालन में सूक्ष्म उद्यमों को सक्षम करके अनुसूचित जाति समुदाय के लिए स्थिर आय स्रोत बनाने का उद्देश्य निहित है। महिलाओं को एक्वैरियम हाउस बनाने और उसके रखरखाव के तकनीकी विवरणों से भी अवगत कराया गया।
उत्तर प्रदेश के सीतापुर में तीन गांवों छी, कटिया और प्रतापपुर की ग्रामीण महिलाओं ने सजावटी मछली विषयक शहरी मांगों के साथ ग्रामीण महिलाओं को जोड़ने के उद्देश्य से प्रशिक्षण लिया, जो सामान्य कृषि कार्य से परे एक वैकल्पिक आय स्रोत प्रदान करता है। कार्यक्रम में अनपढ़ से लेकर साक्षर पृष्ठभूमि तक महिला प्रतिभागी सम्मिलित थीं। कौशल विकास कार्यक्रम ने बेरोजगार महिलाओं को अपने घरों के पिछवाड़े में घरेलू खाद्य अवशेष का उपयोग कर मछली पालन करके घर से कमाई शुरू करने में सक्षम बनाया तथा प्रतिभागियों ने सीखा कि एक्वैरियम को कैसे असेम्बल किया जाए, निस्पंदन सिस्टम को समझा और अन्य आवश्यक अनुभव प्राप्त किया। महिलाओं को फिल्टर, एयर पंप, लाइट, एफआरपी कवर, एक्वेरियम एलईडी लाइट्स, फिश नेट, बैकग्राउंड पोस्टर व एक्वैरियम सहित इनपुट प्रदान किए गए। कार्यक्रम का नेतृत्व डॉ. यूके सरकार, निदेशक भाकृअनुप-एनबीएफजीआर द्वारा किया गया और डॉ. पूनम जयंत सिंह, नोडल अधिकारी एससीएसपी परियोजना एवं डॉ दया शंकर श्रीवास्तव, प्रमुख, केवीके सीतापुर द्वारा समन्वित किया गया।

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