प्रदेश की राजधानी मे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ भी खतरे मे आ चुका है जिसका कारण है पुलिस की अपराधियों पर मेहरबानी ऐसा इस वाक्ये से आसानी के साथ समझा जा सकता है जो एक अक्टूबर की रात्रि लगभग दो बजे चौक चौराहे पर हुआ आपको बता दें की गर्ग टाइम्स के सम्पादक हिमाँशु गर्ग अपने कार्यालय से घर की तरफ शंकारी टोला जा रहे थे तो उन्होंने चौक चौराहे पर वेज रोल खाने के लिए अपनी बाईक रोकी और वेज रोल का आर्डर दिया उस वक़्त वहां नमन और विशेष नामक दबंग व्यक्ति भी वही पर मौजूद थे जिन्होंने पुरानी खुन्नस मे पहले तो हिमाँशु गर्ग से गाली गलौज शुरु कर दी फिर उन्हें जब हिमाँशु ने ऐसा करने को मना किया तो उन्होंने लोहे के कड़े,धारदार हथियार और हेलमेट से हिमाँशु पर जानलेवा हमला कर दिया जिसमे किसी तरह हिमांशु अपनी जान बचाने मे सफल रहा हिमाँशु ने चौक थाने मे इस घटना की सूचना भी दी लेकिन यहीं से पुलिस ने अपराधियों के साथ अपने कुशल व्यवहार का परिचय देते हुए हिमांशु पर दबाव बनाना शुरु कर दिया की समझौता कर लो तो बेहतर होगा उसके बाद जब पुलिस पर अपराधियों को पकड़ने का दबाव हुआ तब पुलिस ने उन्हे हाजिर होने को बोला और शांति भंग किये जाने वाली मामूली धारा लगाते हुए अपना काम खत्म कर दिया।सूत्रों की माने तो नमन और विशेष अपने क्षेत्र के दबंग व्यक्ति हैँ जिनकी पुलिस मे अच्छी पकड़ भी है नही तो जहाँ 307 लगनी चाहिए वहां 151 का क्या मतलब है ये समझना आसान है।पुलिस के इस कृत्य को देख कर यही लगता है की वाकई लोकतंत्र मे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ यहाँ खतरे मे है क्योंकि पुलिस अपराधियों पर मेहरबान है।