गुड टच और बैड टच की पहचान से रूबरू हों रहीं बेटियां

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  • गुड टच और बैड टच की पहचान से रूबरू हों रहीं बेटियां
  • – आरबीएसके कार्यक्रम से हौसलों ने भरी उड़ान तो बदलने लगीं तस्वीरें
  • नवनीत दीक्षित
  • सीतापुर, 12 मई। महीने के उन खास दिनों की उलझनों को सुलझाने की बात हो या फिर गुड टच और बैड टच का अहसास कराने की, यह जिम्मेदारी जब बेटियों ने सम्हाली तो गांव की तस्वीर बदलने लगी। महिला स्वास्थ्य के बेहद संवेदनशील मुद्दे माहवारी को जो अभी तक गंदा और शर्म का विषय समझती थीं, वहीं अब इस विषय पर खुलकर बात करने लगी हैं। गुड टच और बैड टच को लेकर भी अब उन्हें अपनी बात रखने में संकोच नहीं होता है। हम बात कर रहे हैं स्वास्थ्य विभाग के राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत रखे गए पियर एजुकटर्स की।
    इनसेट —
    क्या कहती हैं पियर एजुकेटर —
    मिश्रिख ब्लॉक के बहेरवा, अर्थापुर, बरेठी गांव की शिवानी, कोमल, अर्चना हों या फिर महोली ब्लॉक के बड़ागांव और उरदौली गांव की प्राची अथवा रोमी हों। यह सभी बीते 2 सालों से किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक और मानसिक बदलावों को लेकर अपनी हमउम्र किशोरियों के मन की उलझनों को सुलझा रहीं हैं। इसी तरह एलिया ब्लॉक के नेरी कला और टिकरा कला गांव की पूजा और सीमा अपनी हमजोली किशोरियों को गुड टच और बैड टच की पहचान कराने के साथ ही माहवारी को लेकर जागरूक कर रहीं हैं। इसी का परिणाम है कि अब गांव की किशोरियां माहवारी के दिनों में गंदे कपड़ों के स्थान पर सेनेटरी पैड का प्रयोग करने लगी हैं।
    पियर एजुकेटर शिल्पी बताती हैं कि माहवारी को लेकर हमारे घरों में कभी खुलकर बात नहीं होती है। लेकिन हम किशोरियां जब एक साथ इकट्ठा होती हैं तो आपस में बातचीत कर अपनी समस्याओं को खुद सुझला लेती हैं। इसके बाद भी यदि जरूरत पड़ती है तो हम लोग काउंसलर दीदी की मदद लेते हैं। वह बताती हैं कि गंदे कपड़ों के प्रयोग के कारण कई किशोरियां संक्रमित हुईं जिन्हें साथिया केंद्र पर ले जाकर काउंसलर दीदी को बताया फिर उनका इलाज भी कराया गया, अब यह लोग ठीक हैं। एक अन्य पियर एजुकेटर ने बताया कि गांव की ही एक किशोरी ने अपने करीबी रिश्तेदार के बैड टच को पहचान कर उनसे दूरी बना ली, जिससे आज वह पूरी तरह से सुरक्षित है।

    क्या होते हैं पियर एजुकेटर —

  • राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समंवयक शिवाकांत ने बताया कि विभिन्न ब्लॉकों के गांवों में 10 से 19 साल के आयुवर्ग के किशोर और किशोरियों के दो-दो समूहों का गठन किया गया है। प्रत्येक समूह के दो-दो किशोर और किशोरी को प्रशिक्षित कर उन्हें पियर एजुकेटर बनाया गया है। इनमें स्कूल जाने वाले और स्कूल न जाने वाले दोनों तरह के किशोर-किशोरियां हैं। आशा की मदद से यह पियर एजुकेटर प्रत्येक सप्ताह बैठक कर किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक और मानसिक बदलावों पर स्वस्थ चर्चा कर अपने साथियों की जिज्ञासाओं और भ्रांतियों को दूर करते हैं। आवश्यकता होने पर यह लोग सीएचसी के साथिया केंद्र की काउंसलर की भी मदद लेते हैं।

    इन ब्लॉकों में तैनात हैं पियर एजुकेटर —
    राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समंवयक शिवाकांत ने बताया कि जिले के मिश्रिख, परसेंडी, महोली, मछरेहटा, एलिया, खैराबाद, लहरपुर, हरगांव, बेहटा और गोंदलामऊ ब्लॉकों में पियर एजुकेटर नियुक्त हैं।

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