कैनविज टाइम्स,अन्तर्राष्ट्रीय डेस्क। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और अमेरिका की ट्रंप सरकार के बीच टकराव एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार मामला सीधे फंडिंग से जुड़ा है। ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को मिलने वाली 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 18 हजार करोड़ रुपये) से अधिक की फंडिंग पर रोक लगा दी है। इस फैसले से न केवल विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया है, बल्कि इससे अमेरिका के शैक्षणिक जगत में भी हलचल मच गई है।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने इस कदम को असंवैधानिक और अवैध करार दिया है। विश्वविद्यालय का कहना है कि यह उसकी स्वतंत्रता, स्वायत्तता और शैक्षणिक मूल्यों पर सीधा हमला है। हार्वर्ड ने बोस्टन स्थित संघीय अदालत में ट्रंप सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया है।
यूनिवर्सिटी का कहना है कि यह कार्रवाई राजनीतिक कारणों से प्रेरित है और इसका उद्देश्य संस्थान को दबाव में लाना है। हार्वर्ड प्रशासन का दावा है कि यह न केवल उनके अधिकारों का हनन है, बल्कि इससे हजारों छात्रों और शोधकर्ताओं के भविष्य पर भी असर पड़ेगा, जो इस फंडिंग के ज़रिए शिक्षा और अनुसंधान कार्यों से जुड़े हुए हैं। विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप सरकार और प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के बीच यह टकराव शिक्षा को राजनीति से जोड़ने की एक बड़ी मिसाल बन सकता है। वहीं, यह मामला अब कानूनी मोड़ ले चुका है, जिससे आने वाले समय में इसका असर अमेरिका की उच्च शिक्षा प्रणाली और सरकारी नीतियों पर भी देखने को मिल सकता है।