कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।
पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में एनजीओ की आड़ में चल रहे मानव तस्करी के बड़े गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस ने इस मामले में 'दुर्ग एजुकेशन एंड चैरिटेबल सोसाइटी' नामक संगठन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर वीरेंद्र प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया है। पुलिस जांच में सामने आया है कि यह एनजीओ गरीब परिवारों की युवतियों को बड़ी कंपनियों में नौकरी दिलाने का झांसा देकर फंसाता था। खास बात यह है कि एनजीओ के सदस्य खुद गांव नहीं जाते थे, बल्कि ब्लॉक स्तर पर एजेंट नियुक्त किए गए थे जो युवतियों के आवेदन एकत्र करते थे और उन्हें ट्रेनिंग सेंटर भेजते थे। इस गिरोह की पोल उस वक्त खुली जब इस हफ्ते की शुरुआत में राजधानी एक्सप्रेस से 56 युवतियों को न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन पर मानव तस्करी से पहले ही बचा लिया गया। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) की संयुक्त कार्रवाई में दो लोगों को भी मौके से गिरफ्तार किया गया। युवतियों को बिहार की ओर ले जाया जा रहा था और कहा गया था कि उन्हें एक नामी मोबाइल कंपनी में नौकरी मिलेगी। सभी पीड़ित लड़कियां जलपाईगुड़ी, बनारहाट, कूचबिहार और अलीपुरद्वार के कालचीनी इलाके की रहने वाली हैं। इन क्षेत्रों में चाय बागानों के आसपास रहने वाली महिलाएं मुख्य निशाना थीं। पुलिस के मुताबिक, एनजीओ सिलीगुड़ी में एक ट्रेनिंग सेंटर और छात्रावास चला रहा था। युवतियों को पहले बेसिक ट्रेनिंग दी जाती थी और फिर उन पर भरोसा जमाकर उन्हें बाहर काम के नाम पर भेजा जाता था। फिलहाल पुलिस बचाई गई लड़कियों के बयान दर्ज कर रही है और जिन एजेंटों ने उन्हें एनजीओ तक पहुंचाया, उनकी तलाश जारी है। साथ ही, एनजीओ से जब्त दस्तावेजों और कंप्यूटर के जरिए पिछले बैच की लड़कियों की जानकारी भी खंगाली जा रही है। इस घटना के सामने आने के बाद से इलाके में हड़कंप मचा है और सवाल उठ रहे हैं कि इतने लंबे समय तक यह गिरोह कैसे सक्रिय रहा। पुलिस पूरे नेटवर्क को उजागर करने के लिए जांच तेज कर चुकी है।