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चंदन अस्पताल में शुरू हुआ यूपी का पहला रोबोटिक हिप ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी सिस्टम

चन्दन अस्पताल
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Dhirendra Mishra
  • Updated: July 25, 2025

लखनऊ, कैनविज टाइम्स संवाददाता। चंदन अस्पताल ने लखनऊ और उत्तर प्रदेश में एक नई चिकित्सा व्यवस्था की शुरुआत की है। अस्पताल ने पहली बार यहां विश्वप्रसिद्ध 'मेको रोबोटिक आर्म असिस्टेड सर्जरी' की सुविधा शुरू की है, जो अब तक दुनिया के 1,500 से अधिक अस्पतालों में उपयोग की जा रही है और इससे 6 लाख से ज़्यादा सर्जरी हो चुकी हैं। डॉ. नवीन श्रीवास्तव संयुक्त चिकित्सा निदेशक एवं प्रमुख, अस्थि रोग विभाग, चंदन अस्पताल ने बताया कि यह सिर्फ़ तकनीक नहीं, बल्कि इलाज का एक नया युग है। मेको तकनीक की मदद से हम सर्जरी को बेहद सटीकता से कर पाते हैं, जिससे मरीजों को कम दर्द होता है, वो जल्दी ठीक होते हैं और नतीजे ज़्यादा भरोसेमंद होते हैं। मेको तकनीक हर मरीज की हड्डी की बनावट के अनुसार एक थ्री-डी मॉडल तैयार करती है, जिससे डॉक्टर पहले से पूरी योजना बना सकते हैं। सर्जरी के दौरान मैको की एक्यू स्टॉप टीम तक़नीक़ से रियल टाइम फीडबैक मिलता है, जो सर्जन को हर कदम पर नियंत्रित रखता है और आसपास की हड्डियों या सॉफ्ट टिशू को अनावश्यक नुकसान से बचाता है। चंदन अस्पताल में अब टोटल हिप रिप्लेसमेंट(टीएचआर), टोटल नी रिप्लेसमेंट(टीकेआर) और यूनिकॉम्पार्टमेंटल नी रिप्लेसमेंट (यूकेआर) जैसी सर्जरियां नई तकनीक के साथ की जा रही हैं। यह प्रक्रिया पारंपरिक नेविगेशन सिस्टम जैसे जीपीएस-बेस्ड या ऑप्टिकल ट्रैकिंग पर आधारित नहीं है। इसकी जगह हर मरीज के लिए पहले से पेशेंट-स्पेसिफिक प्लानिंग की जाती है, और ऑपरेशन के दौरान जरूरत के मुताबिक बदलाव (इन्ट्रा-ऑपरेटिव कस्टमाइज़ेशन) भी किए जाते हैं। सबसे खास बात यह है कि इसमें रॉबोटिक कटिंग गाइड्स का इस्तेमाल होता है, जिससे हड्डी की कटाई बहुत ही सटीक तरीके से होती है। इससे सर्जरी सुरक्षित, कम दर्द वाली और तेज़ रिकवरी वाली होती है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि यह सुविधा सिर्फ़ चुनिंदा लोगों के लिए नहीं है। डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि यह कोई लग्ज़री नहीं, बल्कि आधुनिक इलाज का अधिकार है, जो अब हर मरीज को मिल सकता है। यह सर्जरी ज़्यादातर हेल्थ इंश्योरेंस में कवर होती है और हम इसे सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं से भी जोड़ रहे हैं ताकि किसी भी मरीज़ को आर्थिक कारणों से इससे पीछे न रहना पड़े।

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