कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष और प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. के. कस्तूरीरंगन का निधन हो गया है। उन्होंने शुक्रवार को 84 वर्ष की आयु में बेंगलुरु में अंतिम सांस ली। वह पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे।
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान
डॉ. कस्तूरीरंगन का योगदान भारत की अंतरिक्ष वैज्ञानिक उपलब्धियों में बेहद अहम रहा है। वह 1994 से 2003 तक इसरो के अध्यक्ष रहे और इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण उपग्रह प्रक्षेपण कार्यक्रमों का नेतृत्व किया। उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम ने कई महत्वपूर्ण सफलताएँ प्राप्त कीं, जो आज भी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के आधार बने हुए हैं।
अंतरिक्ष आयोग और योजना आयोग में योगदान
डॉ. कस्तूरीरंगन योजना आयोग के सदस्य भी रहे और 27 अगस्त, 2003 को अपना कार्यालय छोड़ने से पहले, वे भारतीय अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग में भारत सरकार के सचिव के रूप में 9 वर्षों से अधिक समय तक कार्यरत रहे। उनके नेतृत्व में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊँचाइयाँ मिलीं।
नए युग की शुरुआत: इसरो उपग्रह केंद्र में भूमिका
इससे पहले, डॉ. कस्तूरीरंगन इसरो उपग्रह केंद्र के निदेशक रहे थे, जहाँ उन्होंने नई पीढ़ी के अंतरिक्ष यान और वैज्ञानिक उपग्रहों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (इन्सैट-2) और भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह (आई.आर.एस.-1ए और 1बी) के विकास के साथ-साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान की दिशा को न केवल आकार दिया, बल्कि उसे वैश्विक स्तर पर भी पहचान दिलाई।