कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को मालदीव की राजधानी माले पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत हुआ। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू, जो पहले भारत विरोधी रुख के लिए जाने जाते थे, अब खुद प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करने एयरपोर्ट पर पहुंचे। उनके साथ विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और गृह मंत्री भी मौजूद थे। करीब 18-20 महीने पहले तक मुइज्जू सरकार भारत के खिलाफ तीखे बयान देती रही थी, लेकिन अब विदेश नीति में 360 डिग्री का बदलाव देखने को मिल रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह है मालदीव की डांवाडोल होती अर्थव्यवस्था और चीन के कर्ज जाल का डर। 5.5 लाख की आबादी वाला यह देश पर्यटन पर निर्भर है, और कोरोना काल के बाद से इसकी अर्थव्यवस्था संकट में है। भारत ने इस संकट के समय मालदीव की बड़ी मदद की। वर्ष 2024 में भारत ने मालदीव को 750 मिलियन डॉलर की करेंसी स्वैप सुविधा दी और 100 मिलियन डॉलर के ट्रेजरी बिल को रोलओवर किया। इसके अलावा अड्डू शहर में 29 मिलियन डॉलर की लागत से एक हवाई अड्डा और लिंक ब्रिज परियोजना की शुरुआत भी भारत द्वारा की गई। जनवरी 2024 में जब प्रधानमंत्री मोदी ने लक्षद्वीप की यात्रा की, तब मालदीव के कुछ मंत्रियों की आपत्तिजनक टिप्पणियों से दोनों देशों के संबंधों में खटास आ गई थी। इसके बाद भारत में सोशल मीडिया पर 'बायकॉट मालदीव' ट्रेंड करने लगा, जिससे पर्यटन में लगभग 50,000 पर्यटकों की कमी आई और मालदीव की अर्थव्यवस्था और अधिक दबाव में आ गई। अब मुइज्जू सरकार को समझ आ गया है कि भारत से संबंध बिगाड़ने का नुकसान सीधे देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। ऐसे में अब मुइज्जू सरकार फिर से भारत के साथ करीबी बढ़ाने की कोशिश में लगी है, और पीएम मोदी की मालदीव यात्रा इसी बदले रुख का प्रमाण है।