कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।
दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगों की साजिश रचने के आरोपितों की ओर से दाखिल जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि किसी सह आरोपित को मिली जमानत को दूसरे आरोपितों के लिए जमानत देने का आधार नहीं बनाया जा सकता है। दिल्ली पुलिस की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष ये दलील रखी। जमानत याचिकाओं पर अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी।सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार काे कहा कि आरोपित शरजील इमाम ने मुस्लिमों को दिल्ली समेत पूरे भारत में एकजुट कर सब कुछ बंद करने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा कि शरजील इमाम के बयानों से देशभर में सांप्रदायिक विभाजन को बंद मिला। 06 नवंबर को आरोपितों की ओर से दलीलें पूरी कर ली गयी। सुनवाई के दौरान शादाब अहमद की ओर वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा था कि ट्रायल में आरोपित की ओर से कोई देरी नहीं की जा रही है। शादाब अहमद 27 वर्ष का नौजवान है और वो जगतपुरी में 2016 से एनडीएस इंटरप्राइजेज में सुपरवाइजर के पद पर काम कर रहा था। लूथरा ने कहा था कि आरोप तय करने पर दलीलें रखी जा रही है और शादाब अहमद की ओर से दलीलें रखी जा चुकी हैं। इसके पहले, 03 नवंबर को उमर खालिद की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि इस मामले में 751 एफआईआर दर्ज किए गए हैं। लेकिन उमर खालिद का नाम केवल एक एफआईआर में है। उसमें दिसंबर, 2022 में बरी कर दिया गया। एक दूसरा एफआईआर दर्ज किया गया है जिसमें साजिश का जिक्र है। सिब्बल ने कहा था कि 750 एफआईआर में उमर खालिद किसी में भी लिप्त नहीं है। 751 एफआईआर में 116 में ट्रायल किया गया जिसमें 97 में दोषी बरी कर दिए गए। 17 केसों में फर्जी दस्तावेजों को आधार बनाया गया है।
