कैनविज टाइम्स संवाददता/चंडीगढ़: पंजाब में एक बार फिर नेताओं की टारगेट किलिंग का खतरा बढ़ता जा रहा है। हाल ही में पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर हुए हमले ने राज्य में बढ़ते सुरक्षा खतरे को उजागर किया है। यह हमला एक बड़े राजनीतिक साजिश का हिस्सा हो सकता है, जो पाकिस्तान से रची जा रही है। पिछले कुछ वर्षों में पंजाब में नेताओं पर हमलों की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिससे राज्य की सुरक्षा एजेंसियां चिंता में हैं।
पंजाब में पिछले आठ वर्षों में टारगेट किलिंग की घटनाओं में 5 प्रमुख नेताओं की मौत हो चुकी है। इनमें से कई हिंदू नेता भी शामिल हैं, जिनकी हत्या पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादियों और घातक गैंग्स द्वारा की गई। पांच साल पहले ही पंजाब के आरएसएस के सह संचालक बिग्रेडियर जगदीश गगनेजा को भी इस तरह के हमले का शिकार होना पड़ा था। अब सुखबीर बादल पर हुए हमले से यह स्पष्ट हो गया है कि पंजाब में गरम पंथी फिर से सक्रिय हो रहे हैं।
पंजाब में पिछले चार सालों में जो भी हमले हुए हैं, उनकी जांच केंद्रीय खुफिया एजेंसियों और राज्य की काउंटर इंटेलिजेंस टीम द्वारा की जा रही है। हालांकि, इन घटनाओं में शामिल मुख्य आरोपित अभी तक पकड़ में नहीं आए हैं। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि हमले अक्सर विदेश से निर्देशित किए जाते हैं, और इसके लिए स्थानीय गुर्गों का इस्तेमाल किया जाता है।
पंजाब में इस तरह की घटनाओं के बढ़ते असर को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा करने की आवश्यकता है। इन हमलों के पीछे राजनीतिक और धार्मिक उन्माद हो सकता है, जिससे राज्य की शांति और सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।