कैनवीज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 17 दिसंबर को नेपाल की तीन दिवसीय यात्रा पर पहुंचे हैं, जहां उन्होंने नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ से मुलाकात की। इस यात्रा का उद्देश्य भारत-नेपाल रिश्तों को और मजबूती प्रदान करना है, विशेषकर व्यापार, सुरक्षा और सांस्कृतिक संबंधों के क्षेत्र में। यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर की उम्मीद जताई जा रही है।
व्यापार और आर्थिक सहयोग:
प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल के साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण योजनाओं का ऐलान किया। उनका मानना है कि नेपाल के साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ाकर दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी जा सकती है। इस दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते, निवेश बढ़ाने और सड़कों, रेलवे और ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग पर भी विचार किया गया।
सुरक्षा सहयोग:
भारत और नेपाल के बीच सुरक्षा के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण समझौतों की संभावना है। दोनों देशों के बीच आतंकवाद, सीमा सुरक्षा और आपसी खुफिया जानकारी साझा करने के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की गई। नेपाल, जो भारत की सीमाओं से सटा हुआ है, सुरक्षा के मामले में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार है। प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल के साथ सीमा सुरक्षा को और मजबूत करने की दिशा में कदम उठाने का आश्वासन दिया।
जल और ऊर्जा सहयोग:
नेपाल में विशाल जल संसाधन हैं, और भारत ने नेपाल के साथ जलवायु, जलविनियोग और ऊर्जा क्षेत्र में साझेदारी बढ़ाने की दिशा में भी सकारात्मक कदम उठाए हैं। इस दौरान दोनों देशों ने बड़े जल परियोजनाओं पर काम करने के बारे में चर्चा की, जिससे नेपाल के ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और भारत को स्वच्छ ऊर्जा मिल सकेगी।
सांस्कृतिक और जन संपर्क:
प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल में भारत-नेपाल के सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में भी बात की। दोनों देशों के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विशेष पहल की जाएगी। नेपाल में भारतीय तीर्थस्थलों की बढ़ती संख्या और नेपाल में स्थित भारतीय सांस्कृतिक केंद्रों की गतिविधियों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा नेपाल के लिए ऐतिहासिक मानी जा रही है, क्योंकि इससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा मिल सकती है। यह यात्रा दोनों देशों के बीच पुराने मतभेदों को खत्म करने और एक नए सहयोगात्मक युग की शुरुआत के रूप में देखी जा रही है।