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रेलवे में नवीन प्रौद्योगिकियों पर एक सम्मेलन का आयोजन

सम्मेलन
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Dhirendra Mishra
  • Updated: November 28, 2025

लखनऊ, कैनविज टाइम्स संवाददाता। भारतीय उद्योग परिसंघ(सीआईआई) ने अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन(आरडीएसओ) के साथ सम्मिलित रूप से शुक्रवार को लखनऊ में रेलवे में नवीन प्रौद्योगिकियों पर एक सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन में उपस्थित इस क्षेत्र से सम्बंधित विशेषज्ञों ने रेलवे क्षेत्र में नवाचारों, नवीनतम प्रौद्योगिकियों, सहयोग और रेलवे के विभिन्न आयामों पर विचार-विमर्श किया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि उदय बोरवणकर महानिदेशक, अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन(आरडीएसओ) ने उल्लेख किया कि आरडीएसओ भारतीय रेल का एकमात्र संगठन है जो 1957 से रेल तकनीक के क्षेत्र में अनुसंधान और डिजाइन का कार्य कर रहा है। आरडीएसओ, रेलवे वस्तुओं की आपूर्तियों के लिए तथा विनिर्देश तैयार करने और विक्रेता विकास का कार्य करता है तथा भारतीय रेल को तकनीकी समाधान प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि पटरियों की गति क्षमता 75 किलोमीटर प्रति घंटे से बढ़कर 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच गई है और इसे आगे 200 किलोमीटर प्रति घंटे तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। जिन कोचों में पहले केवल 500 से 700 यात्रियों को ही समायोजित किया जा सकता था, अब वे एक रेक में 2000 यात्रियों को समायोजित करने में सक्षम हैं। माल ढुलाई के मामले में, क्षमता 150 टन प्रति एक्सल से बढ़कर लगभग 250 टन प्रति एक्सल तक पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि भारतीय रेल में हुए ये सभी तकनीकी नवाचार वर्ष 2047 तक विकसित भारत के रोडमैप में भी योगदान दे रहे हैं। उच्च लक्ष्यों और उच्च गुणवत्ता वाली सेवा प्रदान करने के मद्देनज़र, रेलवे क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास तथा प्रौद्योगिकी विकास के लिए उद्द्योगों की सहभागिता की व्यापक संभावनाएं और अवसर मौजूद हैं। कवच प्रणाली के विषय में बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह स्वदेशी रूप से विकसित सुरक्षा और संरक्षा प्रणाली रेल गतिशीलता तंत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगी, और हम संपूर्ण रेल नेटवर्क को कवच ईकोसिस्टम के अंतर्गत लाने की योजना बना रहे हैं। आरडीएसओ देशभर के सभी आईआईटी और विज्ञान संस्थानों के साथ विभिन्न परियोजनाओं पर सहयोग स्थापित कर रहा है, ताकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सतत प्रौद्योगिकी विकास और एआई आधारित पूर्वानुमानित रखरखाव जैसे क्षेत्रों में संभावनाओं की खोज की जा सके। वहीं सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए अभिषेक सर्राफ, सम्मेलन अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, अवध रेल इन्फ्रा लिमिटेड ने कहा कि भारतीय रेल देश को प्रगति की मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य करती है। भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, जो अपने नेटवर्क आकार के अनुसार केवल अमेरिका, चीन और रूस से पीछे है। भारतीय रेल ने देश के आर्थिक विकास की गति को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह राष्ट्र के विकास इंजन का अभिन्न अंग है। उन्होंने केंद्रीय रेल बजट 2025-26 में की गई उल्लेखनीय घोषणाओं पर प्रकाश डाला। सत्र को संबोधित करते हुए सुशील कुमार प्रबंध निदेशक, उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने उल्लेख किया कि मेट्रो रेल, अंतर शहरी और अंतःशहरी आवागमन के संदर्भ में देश के मुख्य रेल नेटवर्क को पूरक करती है और दोनों मिलकर देश को आगे ले जाने वाले जुड़वां स्तंभों की तरह कार्य करते हैं। मेट्रो रेल देश के 24 शहरों में संचालन कर रही है और विकसित भारत 2047 की परिकल्पना के अंतर्गत आने वाले समय में बड़े स्तर पर विस्तार की योजना बना रही है। विकसित यू0पी0 2047 के योजना के तहत, उत्तर प्रदेश में 1500 किलोमीटर मेट्रो रेल नेटवर्क जोड़ने की परिकल्पना है, जिसमें से अकेले लखनऊ में 200 किलोमीटर से अधिक और कानपुर व आगरा में 550 किलोमीटर का नेटवर्क विकसित करने की योजना है। साथ ही उत्तर प्रदेश के 7 और शहरों को मेट्रो रेल नेटवर्क में शामिल करने की योजना है, ताकि वर्ष 2030 तक एक ट्रिलियन डॉलर और 2047 तक छह ट्रिलियन डॉलर की उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को साकार किया जा सके। उन्होंने कहा कि केंद्र स्तर पर पी.एम. गति शक्ति योजना और राष्ट्रीय अवसंरचना मिशन ने पूरे देश में मेट्रो रेल कॉर्पोरेशनों को नई गति प्रदान की है। चालू वित्तीय वर्ष में ही मेट्रो कॉर्पोरेशनों के लिए 348 अरब रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है जिससे मेट्रो रेल को काफी प्रोत्साहन मिला है। अपने विचार साझा करते हुए रनीत राणा, सम्मेलन सह-अध्यक्ष एवं एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट(सेल्स एंड डिस्ट्रीब्यूशन), जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड ने कहा कि भारतीय रेल में हाल के वर्षों में हुई प्रगति को देखते हुए इसका भविष्य अत्यंत आशाजनक है। उन्होंने उल्लेख किया कि वर्ष 2030 तक भारतीय रेल प्रति वर्ष 12 ट्रिलियन से अधिक यात्रियों को सेवा प्रदान करेगी और सालाना 8.2 बिलियन टन माल ढोएगी। संबोधन में अमित श्रीवास्तव, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर – रिसर्च, आरडीएसओ ने कहा कि भारतीय रेलवे के चल रहे आधुनिकीकरण ने भारत के साथ-साथ पूरे विश्व के व्यवसायों के लिए असीमित अवसर पैदा किए हैं। निर्माताओं से लेकर तकनीकी समाधान प्रदाताओं तक, एमएसएमई से लेकर वैश्विक कंपनियों तक, छोटे चाय विक्रेता से लेकर लग्जरी ट्रेनों में पांच सितारा सेवाएं देने वालों तक, भारतीय रेल के पास कारोबार के हर वर्ग के लिए बहुत कुछ देने को है। उन्होंने बताया कि हाल ही में भारतीय रेल नेटवर्क में 17 नई वंदे भारत ट्रेनों को शामिल किया गया है और अप्रैल से अक्टूबर 2024 के बीच 228 कोचों का निर्माण किया गया है। इसके अतिरिक्त, 91 गति शक्ति मल्टी-मोड़ल कार्गो टर्मिनल कमीशन किए गए हैं और पीपीपी मॉडल के तहत 16,434 करोड़ रुपये मूल्य की 17 परियोजनाएं पूरी की गई हैं। उद्योग जगत के लगभग 200 प्रतिनिधियों के साथ, आरडीएसओ, अनुसंधान संस्थान और शैक्षणिक संगठनों ने सम्मेलन में भाग लिया।

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