कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। लोकसभा और राज्यसभा के सत्रों में अक्सर गरमागरम बहस होती रहती है, लेकिन कभी-कभी यह बहस शारीरिक टकराव में भी बदल जाती है। हाल ही में एक ऐसा ही वाकया हुआ जब संसद के सत्र के दौरान धक्का-मुक्की हुई, जिसमें कई सांसद घायल हो गए। इस घटना में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी शामिल रहे और उन्होंने स्पीकर को पत्र लिखकर बताया कि उन्हें भी चोटें आई हैं।
क्या हुआ था?
यह घटना उस समय घटी जब संसद में एक महत्वपूर्ण विधेयक को लेकर बहस हो रही थी। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोक-झोंक के बाद, स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई। आरोप है कि इस दौरान दोनों पक्षों के सांसदों के बीच धक्का-मुक्की हुई, जिससे कई सांसदों को चोटें आईं।
खरगे, जो स्वयं विपक्षी दल के नेता हैं, इस घटना के दौरान चोटिल हो गए। उन्होंने इस बारे में स्पीकर को पत्र लिखकर बताया कि उन्हें भी धक्का-मुक्की के दौरान चोटें आई हैं। खरगे ने इस पत्र में कहा कि वह संसद के सत्र के दौरान बहुत सतर्क रहते हैं, लेकिन इस बार स्थितियां बहुत बिगड़ गईं और उन्हें भी चोटें आईं।
खरगे का पत्र:
खरगे ने स्पीकर को लिखा पत्र में यह भी कहा कि संसद में एक मर्यादा और अनुशासन होना चाहिए, और अगर किसी सांसद को शारीरिक चोटें लगती हैं, तो यह बेहद गंभीर मामला बन जाता है। उन्होंने पत्र में अपील की कि इस घटना की निष्पक्ष जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
सांसदों के बीच बढ़ा तनाव:
यह घटना दर्शाती है कि संसद में भी कभी-कभी राजनीतिक तनाव इतना बढ़ जाता है कि वह शारीरिक रूप ले लेता है। विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच की स्थिति और भी तनावपूर्ण हो जाती है, जब दोनों दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हैं और अपनी बात मनवाने के लिए हर संभव तरीके अपनाते हैं।
स्पीकर का प्रतिक्रिया:
स्पीकर ओम बिरला ने इस घटना पर चिंता व्यक्त की और कहा कि संसद में किसी भी प्रकार की शारीरिक हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह स्थिति बहुत ही गंभीर है और इसके खिलाफ ठोस कदम उठाए जाएंगे। स्पीकर ने यह भी कहा कि सदन में किसी सांसद को शारीरिक नुकसान नहीं होना चाहिए, और वे इस मामले की जांच करेंगे।
राजनीतिक प्रतिक्रिया:
विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर सत्तारूढ़ पार्टी की आलोचना की और कहा कि जब सत्ता पक्ष खुद नियमों का उल्लंघन करता है, तो ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है। वहीं, सत्ता पक्ष ने विपक्ष को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया और कहा कि विपक्षी सांसदों ने जानबूझकर तनाव पैदा किया । संसद में यह घटना उस समय घटित हुई, जब एक महत्वपूर्ण विधेयक पर बहस हो रही थी, और यह घटना भारतीय राजनीति में एक नया मोड़ ले सकती है। इस तरह की घटनाओं से संसद की कार्यप्रणाली और उसके मर्यादा पर सवाल उठते हैं। अब देखना यह होगा कि इस मामले में क्या कार्रवाई की जाती है और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।