कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क ।उत्तर प्रदेश में बिजली की बढ़ती कीमतों और निजी कंपनियों को दी जा रही सब्सिडी पर एक नया विवाद उत्पन्न हो गया है। राज्य की विद्युत उपभोक्ता परिषद ने यूपी सरकार से मांग की है कि निजी कंपनियों को दी जा रही सस्ती बिजली और सब्सिडी की नीति पर पुनर्विचार किया जाए। परिषद का कहना है कि यह कदम आम उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ है, जो पहले से ही ऊंची बिजली दरों से परेशान हैं।
प्रमुख मुद्दे और शिकायतें:
1. निजी कंपनियों को सब्सिडी देने का विरोध:
• विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया है कि सरकार द्वारा निजी कंपनियों को सस्ती बिजली और सब्सिडी देना आम जनता के लिए अनुचित है। परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता आम उपभोक्ताओं को राहत देना होनी चाहिए, न कि निजी कंपनियों को वित्तीय लाभ प्रदान करना।
• खासकर उस समय जब राज्य में बिजली की दरों में वृद्धि हो रही है, तब यह कदम उपभोक्ताओं के लिए और भी अधिक समस्या पैदा कर सकता है।
2. बिजली दरों में वृद्धि:
• राज्य में बिजली की दरों में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे घरेलू और औद्योगिक उपभोक्ताओं पर दबाव बढ़ रहा है। परिषद का कहना है कि जब सरकार निजी कंपनियों को सस्ती बिजली मुहैया करवा रही है, तो आम उपभोक्ताओं को उच्च दरों पर बिजली मिल रही है, जो उनके वित्तीय दबाव को और बढ़ा रही है।
• परिषद के सदस्य यह भी कह रहे हैं कि यह नीति राज्य के विद्युत उपभोक्ताओं के साथ अन्याय है, क्योंकि उन्हें पहले से ही महंगी बिजली के लिए भुगतान करना पड़ता है।
3. बिजली वितरण में सुधार की जरूरत:
• परिषद ने यह भी सुझाव दिया है कि सरकार को बिजली वितरण व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है। यदि वितरण प्रणाली सुधारती है, तो इससे अधिक बिजली की बचत हो सकती है, और सब्सिडी का असर भी कम हो सकता है। इसके अलावा, राज्य सरकार को सस्ती और स्थिर बिजली प्रदान करने के लिए तकनीकी उन्नति और स्मार्ट मीटरिंग जैसी प्रणाली को लागू करना चाहिए।
4. सरकार से पारदर्शिता की मांग:
• विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सरकार से मांग की है कि बिजली वितरण और निजी कंपनियों को दी जा रही सब्सिडी के बारे में पूरी पारदर्शिता रखी जाए। परिषद ने कहा है कि उपभोक्ताओं को यह जानकारी मिलनी चाहिए कि सरकार द्वारा निजी कंपनियों को किस आधार पर सब्सिडी दी जा रही है और इसका लाभ किसे मिल रहा है।
उपभोक्ता परिषद की प्रमुख मांगें:
1. निजी कंपनियों को दी जा रही सब्सिडी पर रोक:
• परिषद ने सरकार से यह स्पष्ट मांग की है कि निजी कंपनियों को दी जा रही सस्ती बिजली और सब्सिडी की नीति को पुनः विचारित किया जाए। इन कंपनियों को सरकारी मदद देने की बजाय, उपभोक्ताओं को अधिक राहत दी जानी चाहिए।
2. बिजली दरों में कमी:
• परिषद ने राज्य सरकार से अपील की है कि बिजली की दरों में वृद्धि को रोका जाए और आम उपभोक्ताओं के लिए सस्ती और न्यायपूर्ण बिजली की नीति बनाई जाए। विशेष रूप से किसानों और निम्न-आय वाले वर्ग के लिए बिजली दरों में राहत देने की आवश्यकता है।
3. बिजली वितरण में सुधार:
• परिषद ने सुझाव दिया कि बिजली वितरण व्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार को अधिक निवेश करना चाहिए। स्मार्ट मीटर और बेहतर तकनीकी उपकरणों के माध्यम से वितरण को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।
4. सरकारी बिजली कंपनियों की स्थिति में सुधार:
• निजी कंपनियों के बजाय, राज्य सरकार की बिजली कंपनियों को अधिक मजबूत किया जाना चाहिए ताकि वे बिजली की उपलब्धता और गुणवत्ता को बेहतर बना सकें और आम उपभोक्ताओं के लिए राहत सुनिश्चित कर सकें।
सरकार का रुख:
इस मुद्दे पर यूपी सरकार ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, सरकार बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम कर रही है। सरकार का कहना है कि बिजली क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने और निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए कुछ कदम उठाए जा रहे हैं, जिनसे लंबे समय में राज्य को लाभ मिलेगा। हालांकि, इन कदमों के प्रभावों पर जनता और उपभोक्ताओं की चिंता को भी गंभीरता से लिया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में निजी कंपनियों को दी जा रही सब्सिडी और सस्ती बिजली पर उठे सवाल उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ दिख रहे हैं। विद्युत उपभोक्ता परिषद की मांग है कि सरकार बिजली की दरों में वृद्धि रोकने के लिए कार्रवाई करे और आम जनता को अधिक राहत प्रदान करें। इसके साथ ही, राज्य में बिजली वितरण की व्यवस्था को सुधारने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं ताकि उपभोक्ताओं को बेहतर और सस्ती बिजली मिल सके।