कैनवीज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। अमेरिका में मुद्रास्फीति (Inflation) की दर में अचानक वृद्धि ने अमेरिकी और वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है। अमेरिका के श्रम विभाग द्वारा जारी ताजे आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में मुद्रास्फीति की दर 3.7% तक पहुंच गई है, जो कि एक साल पहले की तुलना में अधिक है। यह आंकड़ा इस बात का संकेत है कि आर्थिक दबाव अभी भी बरकरार है, और इससे बाजारों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है।
मुद्रास्फीति में वृद्धि का कारण:
मुद्रास्फीति की दर में बढ़ोतरी के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:
1. ऊर्जा की कीमतें: ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि, खासकर पेट्रोल और गैस की कीमतों में बढ़ोतरी, मुद्रास्फीति को प्रभावित कर रही है। वैश्विक तेल बाजार में अस्थिरता के कारण कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।
2. खाद्य मूल्य में बढ़ोतरी: खाद्य सामग्री की कीमतों में बढ़ोतरी भी एक महत्वपूर्ण कारण है। कोरोना महामारी और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला संकट के कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ी हैं।
3. ब्याज दरों में वृद्धि: अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में की गई बढ़ोतरी के कारण भी लागत में वृद्धि हो रही है, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ रही हैं।
4. मांग का दबाव: उपभोक्ताओं की मांग में वृद्धि और उत्पादन में कमी के कारण आपूर्ति की समस्या बनी हुई है, जिसके चलते कीमतें बढ़ रही हैं।
बाजार पर असर:
अमेरिकी बाजार में मुद्रास्फीति की दर में वृद्धि का बड़ा असर देखने को मिल रहा है, जिससे निवेशकों में चिंता फैल गई है। इस बढ़ी हुई मुद्रास्फीति के कारण बाजार में मंदी का जोखिम बढ़ गया है और निवेशकों ने सतर्कता बढ़ा दी है।
1. शेयर बाजार में गिरावट: मुद्रास्फीति की बढ़ी हुई दर के कारण डॉव जोन्स, नैस्डैक और एस एंड पी 500 जैसे प्रमुख अमेरिकी सूचकांकों में गिरावट देखने को मिली है। निवेशकों का ध्यान अब उन क्षेत्रों में ज्यादा हो गया है, जहां मुद्रास्फीति का असर कम हो सकता है।
2. ब्याज दरों में और वृद्धि की संभावना: फेडरल रिजर्व ने पहले ही संकेत दिया है कि यदि मुद्रास्फीति की दर बढ़ती रही, तो ब्याज दरों में और वृद्धि हो सकती है। इससे उपभोक्ताओं और व्यापारों के लिए लोन की लागत और अधिक महंगी हो सकती है, जिससे खर्च में कमी आ सकती है और आर्थिक वृद्धि धीमी हो सकती है।
3. डॉलर में मजबूती: मुद्रास्फीति के कारण डॉलर में मजबूती आई है, क्योंकि निवेशक सुरक्षित संपत्तियों की ओर रुख कर रहे हैं। हालांकि, डॉलर की मजबूती से अमेरिका में वस्तुओं की कीमतें और अधिक महंगी हो सकती हैं, जो उपभोक्ताओं के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
4. बाजार की अस्थिरता: मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी के कारण बाजार में अस्थिरता बढ़ गई है। इस अस्थिरता से निवेशकों को लाभ और नुकसान दोनों का सामना हो सकता है। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार अगले कुछ महीनों तक अस्थिर रह सकता है, जब तक कि मुद्रास्फीति नियंत्रण में नहीं आ जाती।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
मुद्रास्फीति के बढ़ने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर कई नकरात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं:
1. उपभोक्ताओं की खर्च क्षमता में कमी: उच्च मुद्रास्फीति से उपभोक्ताओं की खरीदारी क्षमता पर असर पड़ता है, क्योंकि उनका वास्तविक आय घट जाता है। इससे उपभोक्ता खर्च में कमी आ सकती है, जो आर्थिक वृद्धि को प्रभावित कर सकती है।
2. ब्याज दरों में वृद्धि: मुद्रास्फीति को नियंत्रण में लाने के लिए फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में और वृद्धि कर सकता है, जिससे कर्ज महंगा हो जाएगा। इसका असर आवासीय और उपभोक्ता कर्जों पर पड़ेगा, और घरों की कीमतों में गिरावट आ सकती है।
3. आपूर्ति श्रृंखला समस्याएं: मुद्रास्फीति को लेकर जारी समस्याओं ने अमेरिकी आपूर्ति श्रृंखला को भी प्रभावित किया है, जिससे उत्पादन लागत बढ़ी है और आपूर्ति में देरी हो रही है। इससे उद्योगों को मुनाफा कम होने का डर है।
विशेषज्ञों की सलाह:
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी सरकार और फेडरल रिजर्व के लिए यह समय मुद्रास्फीति को काबू करने के लिए कठोर उपायों को लागू करने का है, लेकिन यह भी ध्यान रखना होगा कि इन उपायों से आर्थिक वृद्धि पर अधिक असर न पड़े। वे निवेशकों को सलाह देते हैं कि वे अपने निवेशों को विविधित (diversify) करें और जोखिमों को समझकर निर्णय लें।
निष्कर्ष:
अमेरिका में मुद्रास्फीति की दर में वृद्धि ने अमेरिकी और वैश्विक बाजारों में तनाव पैदा कर दिया है। इससे बाजार अस्थिर हो गए हैं और भविष्य में आर्थिक वृद्धि धीमी पड़ सकती है। हालांकि, अमेरिकी सरकार और केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए विभिन्न उपायों पर विचार कर रहे हैं। निवेशकों और उपभोक्ताओं को इस अस्थिर स्थिति में सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है।