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अमेरिकी उपराष्ट्रपति भारत पहुंचे: जेडी वेंस के 3 महीने में 5 विदेशी दौरे, हर जगह विवाद; भारत को क्या कदम उठाना चाहिए?

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  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kanwhiz Times
  • Updated: April 21, 2025

कैनविज टाइम्स,अन्तर्राष्ट्रीय डेस्क। अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस हाल ही में भारत दौरे पर आए हैं। इस दौरे से पहले, उन्होंने पिछले तीन महीने में पांच प्रमुख विदेशी देशों का दौरा किया, जिनमें हर बार किसी न किसी विवाद ने तूल पकड़ा। इन विवादों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिकी नीति और वेंस के दृष्टिकोण पर सवाल उठाए हैं।

वेंस के विवादास्पद दौरे

पहला विवाद: जेडी वेंस ने अपनी यात्रा के पहले ही चरण में यूरोप में अपनी नीति के बारे में कुछ ऐसी बातें कहीं, जो स्थानीय नेताओं के लिए असुविधाजनक साबित हुईं। उन्होंने यूरोपीय संघ के कुछ देशों के साथ व्यापार और सुरक्षा नीति पर कड़े बयान दिए, जिससे वहां के अधिकारी नाराज हो गए।

दूसरा विवाद: वेंस के दूसरे दौरे के दौरान मध्य एशिया में अमेरिकी हस्तक्षेप के मुद्दे पर तीखी बहस हुई। स्थानीय मीडिया और राजनीतिक पार्टियों ने वेंस के बयान को आत्मनिर्भरता और स्थानीय नीति के खिलाफ करार दिया।

तीसरा विवाद: वेंस ने दक्षिण एशिया के एक देश में मानवाधिकार और लोकतंत्र के मुद्दे पर आलोचनात्मक बयान दिए, जो वहां की सरकार के लिए विवादास्पद साबित हुआ और उसने अमेरिकी नीतियों को खुले तौर पर नकारा।

भारत को क्या कदम उठाना चाहिए?

भारत, जो अपने वैश्विक संबंधों को संतुलित तरीके से विकसित करना चाहता है, को वेंस के इस दौरे के दौरान सावधानीपूर्वक कदम उठाने होंगे। भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूत हो रही है, लेकिन वेंस के विवादास्पद बयानों के बीच भारत को इस रिश्ते को समझदारी से संभालने की आवश्यकता है।

सहजता से बातचीत: भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए अमेरिकी उपराष्ट्रपति के साथ संवाद बनाए रखे। भारत की कूटनीति को संतुलित और व्यावहारिक बनाना होगा, ताकि किसी भी विवाद से बचा जा सके।

द्विपक्षीय सहयोग: भारत और अमेरिका के बीच रक्षा, व्यापार, और अन्य रणनीतिक मुद्दों पर साझेदारी लगातार मजबूत हो रही है। इस दौरे को एक अवसर के रूप में देखा जा सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच नए व्यापारिक समझौते और सैन्य सहयोग बढ़ सके।  भारत को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि यदि कोई विवाद या असहमति उत्पन्न होती है, तो वह संयम और कूटनीति से उसका समाधान निकाले। भारत को अपनी राष्ट्रीय राजनीति, सुरक्षा, और आर्थ‍िक प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव से प्रभावित होने से बचना होगा। भारत के लिए यह दौरा चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन यह भी अवसर प्रदान करता है कि वह वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका को और मजबूत करे। अमेरिका के साथ अपने रिश्तों को बढ़ाने के साथ-साथ, भारत को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उसकी राष्ट्रीय हितों की रक्षा सर्वोपरि रहे।

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