कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क।लखनऊ: आगरा में आयोजित एक विशाल बिजली पंचायत में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और अन्य उपभोक्ताओं तथा किसानों के प्रतिनिधियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के निर्णय और आगरा में चल रहे टोरेंट पावर कंपनी के फ्रेंचाइजी करार को रद्द करने की मांग की गई है।
प्रस्ताव में क्या है? इस प्रस्ताव में कहा गया है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 का उल्लंघन करते हुए पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन इन निगमों को बेचने में जल्दबाजी कर रहा है, जिससे एक बड़े घोटाले की आशंका जताई गई है। पंचायत ने चेतावनी दी है कि अगर प्रदेश के 42 जिलों में एकतरफा निजीकरण लागू किया गया तो बाकी 33 जिलों में भी यह जल्द ही लागू किया जाएगा, जिससे आम उपभोक्ता और किसान फिर से लालटेन युग में लौट जाएंगे।
आगरा के टोरेंट पावर के फ्रेंचाइजी करार पर सवाल: पंचायत में यह आरोप लगाया गया कि आगरा में 2009 में हुए फ्रेंचाइजी बिडिंग के दौरान एटी एंड सी हानियों के आंकड़े गलत पेश किए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप टोरेंट पावर को आगरा शहर की विद्युत आपूर्ति का ठेका दिया गया। इसके कारण पॉवर कारपोरेशन और आगरा के घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों को नुकसान हो रहा है।
पंचायत का कहना है कि टोरेंट पॉवर को सस्ती दर पर बिजली बेचने से पॉवर कारपोरेशन को भारी घाटा हो रहा है, जबकि टोरेंट को फायदा हो रहा है। 2023-24 में पॉवर कारपोरेशन ने 5.55 रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीदी और टोरेंट को 4.36 रुपये प्रति यूनिट बेची, जिससे 275 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। वहीं टोरेंट पावर को इस वर्ष 800 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ।
निजीकरण के खिलाफ संघर्ष समिति की आवाज: संघर्ष समिति ने यह भी कहा कि आगरा में एशिया का सबसे बड़ा चमड़ा उद्योग है और आगरा एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, बावजूद इसके, पॉवर कारपोरेशन को टोरेंट को सस्ती दर पर बिजली देने से भारी नुकसान हो रहा है, जबकि औद्योगिक शहर होने के कारण यहां औसत बिजली विक्रय मूल्य 8 रुपये प्रति यूनिट है। पंचायत ने आगरा में टोरेंट पावर के फ्रेंचाइजी करार की उच्च स्तरीय सीबीआई जांच कराने की भी मांग की।
दक्षिणांचल और पूर्वांचल निगमों का निजीकरण: संघर्ष समिति ने यह भी सवाल उठाया कि जब दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में पॉवर कारपोरेशन को 4.47 रुपये प्रति यूनिट राजस्व प्राप्त हो रहा है, जो टोरेंट से कम है, तो फिर इन निगमों का निजीकरण क्यों किया जा रहा है? इसके अलावा, इन निगमों में भारत सरकार द्वारा 44,000 करोड़ रुपये की निवेश की गई है, जिसके अच्छे परिणाम आने वाले समय में देखने को मिलेंगे।
निजीकरण के संभावित प्रभाव: पंचायत ने यह भी चेतावनी दी कि निजीकरण के बाद, बिजली कर्मियों को निजी कंपनियों का बंधुआ मजदूर बना दिया जाएगा, छंटनी होगी और संविदा कर्मियों की नौकरी चली जाएगी। इसके विरोध में बिजली कर्मी पहले ही तैयार हैं और निजीकरण के खिलाफ किसी भी कीमत पर संघर्ष करने का संकल्प लिया है। बिजली पंचायत ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया कि बिजली कर्मचारियों, घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले निजीकरण के निर्णय को वापस लिया जाए और टोरेंट पावर के फ्रेंचाइजी करार को रद्द किया जाए।