कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों ने 19 दिसंबर को "शहीदों के सपनों का भारत बनाओ - बिजली का निजीकरण हटाओ" दिवस मनाने का ऐलान किया है, जिसमें प्रदेश के सभी जनपदों और परियोजनाओं के कर्मचारियों के साथ राजधानी लखनऊ में भी बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस दिन को काकोरी क्रांति के अमर शहीदों के बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
इस मौके पर, संघर्ष समिति के प्रमुख नेताओं ने ऊर्जा मंत्री द्वारा दिए गए बयान का कड़ा विरोध किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि पावर कारपोरेशन में कोई प्रेरक तत्व (motivation) नहीं है, और इस कारण पीपीपी मॉडल के तहत बिजली का निजीकरण किया जाना जरूरी है। संघर्ष समिति ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि बिजली कर्मियों ने बिना किसी प्रेरक तत्व के देश में सर्वाधिक बिजली आपूर्ति का कीर्तिमान स्थापित किया, जो दर्शाता है कि उनके मेहनत और एकता की कोई कमी नहीं है।
समिति ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि सरकार और प्रबंधन से प्रेरणा मिलती, तो यूपी के बिजली कर्मी और भी बड़े कीर्तिमान स्थापित करने में सक्षम हैं। समिति ने ऊर्जा मंत्री से आग्रह किया कि वे पावर कॉरपोरेशन द्वारा दिए गए आंकड़ों की जांच करें, क्योंकि इन आंकड़ों के आधार पर निजीकरण की कोशिशें किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं की जा सकतीं।
समिति ने यह भी कहा कि 6 अक्टूबर 2020 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित कैबिनेट सब कमेटी के साथ हुए लिखित समझौते का उल्लंघन किया जा रहा है, जिसमें यह तय हुआ था कि राज्य में बिजली क्षेत्र में सुधार किया जाएगा, लेकिन किसी भी निजीकरण के बिना। पीपीपी मॉडल पर आधारित निजीकरण का यह प्रयास इस समझौते के खिलाफ है और इससे बिजली कर्मियों में अविश्वास का माहौल बन रहा है।
साथ ही, समिति ने यह उदाहरण भी दिया कि उड़ीसा और दिल्ली में पहले ही पीपीपी मॉडल के तहत निजीकरण विफल हो चुका है, और यह राज्य में भी लागू होने पर वही परिणाम देगा। संघर्ष समिति ने सरकार से यह मांग की है कि वह जल्दी में निजीकरण का फैसला न ले, क्योंकि इससे आम उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का बोझ उठाना पड़ेगा।
19 दिसंबर को आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शहीदों के चित्रों पर श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी, और निजीकरण हटाने के लिए शपथ ली जाएगी। लखनऊ में विशाल सभा के दौरान नाट्य प्रस्तुति भी की जाएगी, जिसमें बिजली कर्मी अपने विरोध का स्वर व्यक्त करेंगे।