कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक विवादित बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि हिंदू मंदिरों को तोड़ने का सिलसिला हमेशा से जारी रहा है, चाहे वह काशी हो, अयोध्या हो या फिर संभल। उनका यह बयान एक बार फिर धार्मिक और राजनीतिक चर्चा का विषय बन गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान:
मुख्यमंत्री ने यह टिप्पणी उस समय की जब वह एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा, "कभी काशी, कभी अयोध्या, तो कभी संभल... यह हमेशा से होता आया है कि हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया। यह एक दुखद इतिहास है, जिसे आज हम पलट रहे हैं।" उनके इस बयान में काशी और अयोध्या जैसे ऐतिहासिक शहरों का जिक्र करते हुए उन्होंने यह कहा कि इन स्थानों पर पहले हिंदू धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाया गया, लेकिन अब सत्ता में आकर उनकी सरकार इन स्थानों को सम्मान प्रदान करने का काम कर रही है।
योगी आदित्यनाथ का तात्पर्य:
मुख्यमंत्री का यह बयान उस ऐतिहासिक संदर्भ में था जब भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में हिंदू मंदिरों को तोड़े जाने की घटनाएं घटी थीं। खासकर मध्यकाल में, जब मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा कई प्रमुख हिंदू मंदिरों को नष्ट किया गया था। काशी (वाराणसी) और अयोध्या जैसे स्थानों पर इन घटनाओं का इतिहास बहुत पुराना है, जहां धार्मिक स्थलों पर आक्रमण और विध्वंस हुआ था।
संभल में मंदिर तोड़े जाने का संदर्भ:
योगी आदित्यनाथ ने संभल का भी उल्लेख किया, जो उत्तर प्रदेश का एक अन्य शहर है। उन्होंने कहा कि इस शहर में भी हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया था, और अब उनकी सरकार ने उस अपमान का बदला लिया है। संभल में हाल ही में कुछ विवादों और घटनाओं के बाद, मुख्यमंत्री ने इस शहर का उल्लेख करते हुए यह बयान दिया।
राजनीतिक और धार्मिक परिपेक्ष्य:
योगी आदित्यनाथ के इस बयान को एक विशिष्ट धार्मिक और राजनीतिक परिपेक्ष्य में देखा जा रहा है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों के करीब आने के साथ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंदू धार्मिक भावनाओं को संबोधित करते हुए यह बयान दिया। उनका उद्देश्य हिंदू वोट बैंक को एकजुट करना और यह संदेश देना था कि उनकी सरकार हिंदू धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
इसके साथ ही, यह बयान एक तरह से उनके सरकार के कार्यों की दिशा को भी दर्शाता है, जैसे काशी विश्वनाथ कॉरीडोर का निर्माण और राम मंदिर के निर्माण की पहल, जो कि हिंदू धार्मिक स्थलों को पुनर्स्थापित करने की कोशिशों का हिस्सा हैं।
विवाद और प्रतिक्रिया:
मुख्यमंत्री के इस बयान ने कई राजनीतिक और धार्मिक नेताओं के बीच प्रतिक्रिया का दौर शुरू कर दिया है। कुछ लोगों ने इसे सही ठहराया, जबकि कुछ ने इसे एक धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश और सांप्रदायिक बयानबाजी के रूप में देखा। विपक्षी पार्टियां इसे एक चुनावी रणनीति के रूप में देख रही हैं, जो समाज में धार्मिक विभाजन को बढ़ावा देती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह बयान उन घटनाओं और तथ्यों को उजागर करने की कोशिश करता है, जो भारत के इतिहास में हिंदू मंदिरों और धार्मिक स्थलों के साथ हुईं। यह बयान राजनीतिक और धार्मिक संदर्भ में महत्वपूर्ण हो सकता है, लेकिन इसके असर को समझना और इसे व्यापक सामाजिक परिप्रेक्ष्य में देखना आवश्यक है।