कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। पिछले कई दिनों से डॉ. भीमराव आंबेडकर को लेकर देशभर में विवाद गहरा गया है। यह विवाद तब और बढ़ा जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने आंबेडकर के योगदान और उनकी विचारधारा को लेकर अपनी बात रखी। अमित शाह के इस बयान के बाद विपक्षी दलों ने उन पर तीखा हमला किया, यह आरोप लगाते हुए कि भाजपा आंबेडकर के नाम पर राजनीति कर रही है और उनका वास्तविक योगदान कम करने की कोशिश कर रही है।
इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मुद्दे पर एक कदम और बढ़ाया। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने इस सवाल को उठाया कि क्यों लोग यह मानते हैं कि जो लोग बाबा साहेब आंबेडकर को पसंद करते हैं, वे भाजपा का समर्थन नहीं कर सकते। केजरीवाल ने इस चिट्ठी में यह भी कहा कि बाबा साहेब आंबेडकर की विचारधारा और उनके योगदान को लेकर भाजपा का रवैया शंका के घेरे में है, और इसे सही रूप में समझना चाहिए।
केजरीवाल ने अपनी चिट्ठी में यह भी जोड़ते हुए कहा कि आंबेडकर के समर्थक कभी भी उस पार्टी का समर्थन नहीं कर सकते, जो उनके विचारों के विपरीत काम करती हो। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि आंबेडकर के विचार समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे पर आधारित थे, और भाजपा का रवैया इन मूल्यों से मेल नहीं खाता।
इस चिट्ठी के जरिए केजरीवाल ने विपक्षी नेताओं को एकजुट करने की कोशिश की है, ताकि आंबेडकर के योगदान को सही तरीके से सम्मानित किया जा सके और भाजपा के खिलाफ एकजुट आवाज उठाई जा सके। केजरीवाल ने अपनी चिट्ठी में यह भी कहा कि भाजपा को यह समझना होगा कि बाबा साहेब का नाम राजनीतिक फायदे के लिए नहीं, बल्कि उनके योगदान को सम्मान देने के लिए लिया जाना चाहिए। यह विवाद अब राष्ट्रीय राजनीति में एक नई दिशा लेने की संभावना दिखा रहा है, जहां भाजपा और विपक्षी दलों के बीच आंबेडकर के नाम पर राजनीति और विचारधारा के मुद्दे पर तीखी बहस हो रही है।