कैनवीज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका को स्पष्ट किया। यह बयान प्रधानमंत्री ने कोप27 जलवायु सम्मेलन (COP27) के दौरान दिया, जहां उन्होंने भारत के जलवायु संबंधी दृष्टिकोण और पारिस्थितिकी संरक्षण में भारत द्वारा किए गए प्रयासों को दुनिया के सामने रखा। उन्होंने विशेष रूप से भारत की जलवायु नीति और सतत विकास के लिए किए गए कार्यों पर जोर दिया, साथ ही वैश्विक समुदाय से भी एकजुट होकर इस संकट से निपटने की अपील की।
प्रधानमंत्री मोदी के बयान की प्रमुख बातें:
1. भारत का जलवायु प्रतिबद्धता:
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भारत, जो एक विकासशील देश है, ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से लिया है। उन्होंने भारत के जलवायु लक्ष्यों को उजागर करते हुए कहा कि भारत ने 2030 तक अपनी कार्बन उत्सर्जन में 45% की कमी करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि भारत 2020 में घोषित किए गए अपने “नैतिक जलवायु लक्ष्यों” के अनुसार, 2030 तक 500 GW अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता हासिल करने की दिशा में अग्रसर है।
2. पारिस्थितिकीय संतुलन और हरित ऊर्जा:
मोदी ने अपने संबोधन में हरित ऊर्जा और पारिस्थितिकीय संतुलन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में पहले से कई पहल कर चुका है और अब सौर ऊर्जा और वायु ऊर्जा की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है। उन्होंने बताया कि भारत ने अक्षय ऊर्जा के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किए हैं, और वह दुनिया के सबसे बड़े सौर ऊर्जा निर्माताओं में से एक बन चुका है। प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक ऊर्जा खपत में नवीकरणीय ऊर्जा के अनुपात को बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
3. जलवायु न्याय (Climate Justice):
प्रधानमंत्री मोदी ने जलवायु न्याय की बात की और कहा कि यह जरूरी है कि विकसित देशों को अपने ऐतिहासिक उत्सर्जन को स्वीकार करना चाहिए और विकासशील देशों को जलवायु संकट से निपटने में सहायक बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत और अन्य विकासशील देशों के लिए वित्तीय सहायता, तकनीकी सहयोग, और समय पर संसाधन उपलब्धता की आवश्यकता है, ताकि वे जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जरूरी कदम उठा सकें। इस संदर्भ में उन्होंने आधुनिक तकनीक और वित्तीय सहायता के मामलों में देशों के बीच सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।
4. भारत की जलवायु पहलें:
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत द्वारा किए गए विभिन्न जलवायु सुधारों का उल्लेख किया, जैसे कि “परीक्षित जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम” और “स्वच्छ भारत अभियान”, जिसमें जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए स्मार्ट और हरित समाधान अपनाए गए हैं। उन्होंने भारत की प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित किया और कहा कि भारत का उद्देश्य केवल कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना नहीं है, बल्कि वह प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा भी कर रहा है।
5. जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक एकजुटता:
प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर सहयोग और समान प्रतिबद्धता की आवश्यकता की बात की। उन्होंने कहा, “जलवायु परिवर्तन कोई एक देश या क्षेत्र का मुद्दा नहीं है, यह वैश्विक चुनौती है और इसके समाधान के लिए सभी देशों को एकजुट होकर काम करना होगा।” मोदी ने देशों से यह भी आग्रह किया कि वे अपने जलवायु लक्ष्यों को और मजबूत करें और समय पर उन्हें पूरा करने का प्रयास करें।
6. भारत की विशेष स्थिति:
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि भारत, एक विकासशील देश होने के बावजूद, जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत अपनी विकास प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए, जलवायु परिवर्तन से निपटने की कोशिश कर रहा है, और वह जलवायु क्रिया में कोई समझौता नहीं करेगा। भारत का जलवायु परिवर्तन से जुड़ा दृष्टिकोण “विकास के साथ जलवायु संरक्षण” के सिद्धांत पर आधारित है।
भारत की जलवायु प्रतिबद्धता का वैश्विक महत्व:
भारत का जलवायु परिवर्तन से जुड़ा दृष्टिकोण केवल देश के भीतर ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह स्पष्ट किया कि भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश है, न केवल अपने कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि वह अपनी वैश्विक भूमिका को भी पूरी जिम्मेदारी से निभा रहा है। भारत के जलवायु लक्ष्यों की सफलता, वैश्विक जलवायु संकट को सुलझाने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।