कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क।बिहार विधानसभा चुनाव 2024 में राजनीतिक माहौल पूरी तरह से गर्मा चुका है, जहां महागठबंधन (Grand Alliance) और एनडीए (National Democratic Alliance) के बीच कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है। दोनों गठबंधन सत्ता में आने के लिए जोर-शोर से चुनाव प्रचार कर रहे हैं, और सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों के बीच उठापटक जारी है। चुनावी रण में किसकी विजय होगी, यह फिलहाल भविष्य के गर्भ में है, लेकिन इसके लिए दोनों पक्ष अपनी-अपनी रणनीतियां बनाने में जुटे हैं।
महागठबंधन (Grand Alliance)
महागठबंधन में मुख्य रूप से राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस, सीपीआई(ML) और कुछ छोटे दल शामिल हैं। इस गठबंधन के मुख्य चेहरा तेजस्वी यादव हैं, जो बिहार में एक युवा नेता के तौर पर उभरकर सामने आए हैं। महागठबंधन ने राज्य में 15 वर्षों तक सत्ता में रहने के बाद 2020 के चुनाव में सत्ता गंवाने के बाद से अपनी स्थिति को मजबूत करने की पूरी कोशिश की है।
तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन की कोशिश है कि वह विकास के एजेंडे, खासकर युवाओं के लिए रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दे पर जोर दे। साथ ही, जाति और धर्म आधारित मुद्दों को उभारने का प्रयास किया जा सकता है, जैसा कि बिहार के चुनावों में आमतौर पर होता है। महागठबंधन की रणनीति में सीटों का सही बंटवारा और उम्मीदवारों का चयन अहम होगा।
हालांकि, गठबंधन में सीटों को लेकर उठापटक भी जारी है, और कुछ दलों के बीच असहमति सामने आई है। इसके बावजूद, महागठबंधन के नेता यह दावा कर रहे हैं कि वे चुनावी जीत के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
एनडीए (National Democratic Alliance)
एनडीए में भा.ज.पा. (BJP), जनता दल (यूनाइटेड) (JDU), और कुछ छोटे दल शामिल हैं। एनडीए के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की चर्चा भी अहम है, जहां नीतीश कुमार का नाम प्रमुख रूप से सामने आता है। हालांकि, भाजपा और जेडीयू के बीच तालमेल को लेकर कुछ समय पहले तक मतभेद थे, लेकिन अब दोनों पार्टियां बिहार में मिलकर चुनावी रण में उतरने को तैयार हैं।
भा.ज.पा. और नीतीश कुमार की जेडीयू की चुनावी रणनीति में भी जाति, धर्म, विकास और कानून-व्यवस्था के मुद्दों को प्रमुखता दी जा सकती है। भाजपा खासकर केंद्र सरकार की योजनाओं को बिहार में लागू करने के मुद्दे को उठाते हुए चुनावी मैदान में उतरेगी।
एनडीए के नेताओं के बीच भी सीटों का बंटवारा एक चुनौती बन सकता है, क्योंकि दोनों प्रमुख दलों के बीच उम्मीदवारों और सीटों को लेकर आपसी चर्चा जारी है। भाजपा अपने पारंपरिक वोट बैंक, खासकर अगड़ी जातियों और भारतीय समाज के अन्य वर्गों को अपने पक्ष में करने के लिए प्रचार कर रही है।
चुनावी समर की खास बातें:
1. सीटों का बंटवारा:
बिहार चुनाव में सीटों का बंटवारा हमेशा एक जटिल मुद्दा रहता है। महागठबंधन और एनडीए दोनों के ही गठबंधन में विभिन्न पार्टियां शामिल हैं, और इनमें से हर पार्टी अपनी सीटों के हिस्से के लिए दबाव डालती है। इस बार भी दोनों गठबंधन सीटों पर तालमेल बैठाने में व्यस्त हैं।
2. विकास और स्थानीय मुद्दे:
बिहार के चुनाव में विकास का मुद्दा हमेशा प्रमुख रहता है। बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क निर्माण, और कृषि क्षेत्र में सुधार जैसे मुद्दे इस बार भी चुनावी बहस का हिस्सा होंगे।
3. जातिवाद और धर्म:
बिहार में जातिवाद का मुद्दा भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। महागठबंधन और एनडीए दोनों ही इस मुद्दे पर अपने-अपने तरीके से चुनावी रणनीतियां बना रहे हैं, ताकि विभिन्न जाति समूहों को अपने पक्ष में किया जा सके।
4. युवाओं का रुझान:
बिहार में बड़ी संख्या में युवा मतदाता हैं, जो रोजगार, शिक्षा और राज्य के समग्र विकास पर जोर दे रहे हैं। तेजस्वी यादव की युवाओं के बीच अच्छी पैठ है, जबकि भाजपा और जेडीयू भी उनकी समस्याओं को लेकर अपनी योजनाओं का प्रचार कर रहे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2024 में महागठबंधन और एनडीए के बीच मुकाबला न केवल राजनीतिक बल्कि रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण होगा। दोनों गठबंधन अपनी-अपनी ताकत और राजनीतिक एजेंडे के साथ मैदान में हैं। चुनावी माहौल में उथल-पुथल, सीटों का बंटवारा और पार्टी के आंतरिक मुद्दे इस बार के चुनाव को और भी दिलचस्प बना देंगे। जो भी गठबंधन जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेगा, वही चुनावी जंग जीत सकेगा।