लखनऊ मे ट्रामा सेंटर मे तीमारदारों का बुरा हाल,प्रशासन को नही ज़रा भी परवाह...
राजधानी लखनऊ। शनिवार का ट्रामा सेंटर एक मात्र ऐसा चिकत्सा का केंद्र है जहाँ हर बीमारी का इलाज एक छत के नीचे हो जाता है यहाँ बड़े नाम चीन डॉक्टरों की देखरेख मे मरीज़ का इलाज किया जाता है जहाँ दूर दूर से लोग अपने मरीज़ों को लेकर आते हैँ और भीड़ का तो वो आलम होता है कि किसी तगडी जुगाड़ से ही मरीज़ को बेड दिलवा पाते हैँ लेकिन मरीज़ को बेड मुहैया कराने के बाद उनका जो वहां हाल होता है वो स्थिति थोड़ी खतरनाक है क्योंकि वहां टीमारदारों की कोई परवाह नही होती खुद बनाओ खुद खाओ और खुद जगह पा कर सो जाओ वाला आलम होता है। मेरी बात पर हर उस शख्स को यकीन होगा जो ट्रामा सेंटर मे अपने परिजनों का इलाज कराने आया होगा गर्मी मे गर्मी का सितम और जाड़े मे ठंड की मार से वो ज़रूर दो चार हुआ होगा।यहाँ सबकुछ है पर तीमारदारों के रहने और खाने पीने की उचित व्यवस्था नही है ऐसा नही है कि ट्रामा सेंटर प्रशासन के पास धन का आभाव है हां ये ज़रूर है कि उनका ध्यान उगाही मे अधिक लगा रहता है जन सुविधा देने मे उनका कोई योगदान नही रहता।