दीवानी न्यायालय के स्थापना में देरी से अधिवक्ताओं में आक्रोश मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार से दीवानी न्यायालय के स्थापना कराएं जानें की मांग- श्यामा कान्त त्रिपाठी / प्रत्याशी मन्त्री पद
कोरांव (प्रयागराज) जनपद प्रयागराज से 80 किमी की दूरी पर दक्षिणाचल का सबसे ददुरी पर स्थापित कोरांव तहसील है। जहाँ पर यूपी एमपी की सीमा सें जुडा है तहसील कोरांव का आखिरी गांव हंडिया मानपुर है, जहां से मध्यप्रदेश की सीमा प्रारम्भ होती है। वहीं दूसरी ओर राजपुर जो मिर्जापुर से सटा हुआ है। इस प्रकार देखा जाय तो प्रयागराज में मुकदमा देखने के लिए 120 से 140 किलोमीटर का सफर वादकारियों को पूरा करना पड़ता है। इसको देखते हुए हाईकोर्ट ने वादकारियों को सुगम व सरल न्याय प्रणाली प्रदान करने के लिए जनपद प्रयागराज में हंडिया तहसील व कोरांव में दिवानी न्यायालय स्थापित करने का निर्णय लिया। इसका परिणाम रहा कि हंडिया में न्यायालय में सुचारु रूप से न्यायिक कार्य प्रारम्भ हो चूका है वहीं पांच वर्ष बीत जाने के वावजूद भी कोरांव में दिवानी न्यायालय की स्थापना नहीं हो सकी, जबकि कोरांव में दिवानी न्यायालय के लिए जमीन का अधिग्रहण भी किया जा चुका है। फिर भी निर्माण कार्य अधर में है। इसका खामियाजा वादकारियों को भुगतना पड़ रहा है। आए दिन लोग न्याय की आस लेकर आते जरूर हैं पर उन्हें तारिख से ही सन्तोष का सामना करना पड़ रहा है। इसको लेकर वादकारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाथ का ध्यान आकृष्ट कराते हुए तहसील कोरांव में दिवानी न्यायालय की स्थापना कराएं जानें की मांग की है। हाईकोर्ट के आदेश वहीं समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है। पूर्व आय व्यय निरीक्षक श्यामा कान्त त्रिपाठी अधिवक्ता का कहना है कि जनपद की कोरांव से दूरी के चलते वादकारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री से आग्रह है कि जनहित में निर्णय लें, जिससे आम नागरिको को समय से न्याय मिल सके। वरिष्ठ अधिवक्ता इन्द्रेश पाण्डेय का कहना कि दिवानी न्यायालय को जमीन एलाट होने के वावजूद लगातार हो रहे विलम्ब से वादकारियों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि सर्वें भी किया जा चूका है मुख्यमंत्री को संज्ञान लेना चाहिए। जिससे वादकारियों को न्याय सुगमता से मिल सकें।वही दूसरी तरफ पूर्व आय ब्ययनिरीक्षक श्यामा कान्त त्रिपाठी का कहना है कि जनपद की कोरांव से दूरी के चलते वादकारियों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है, माननीय मुख्यमंत्री जी से आग्रह है कि जनहित में निर्णय लें जिससे आम नागरिको को समय से न्याय मिल सके।