कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क।आज भारतीय क्रिकेट के एक महान खिलाड़ी और विश्व कप विजेता कप्तान कपिल देव का जन्मदिन है। कपिल देव का नाम भारतीय क्रिकेट में हमेशा याद रखा जाएगा, विशेष रूप से 1983 के क्रिकेट विश्व कप में भारत की ऐतिहासिक जीत के बाद। हालांकि, कपिल देव का क्रिकेट करियर उतार-चढ़ाव से भरा हुआ था, और एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने बीसीसीआई के खिलाफ बगावत की थी, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें बैन भी कर दिया गया था।
कपिल देव की बगावत और BCCI से बैन:
1980 और 1990 के दशक में कपिल देव भारतीय क्रिकेट का चेहरा बने हुए थे। उन्होंने 1983 में भारत को पहली बार क्रिकेट विश्व कप जिताने के बाद भारतीय क्रिकेट में अमिट छाप छोड़ी। कपिल देव का नेतृत्व और उनके क्रिकेटिंग कौशल ने उन्हें भारतीय क्रिकेट का एक अभिन्न हिस्सा बना दिया था।
लेकिन 1990 के दशक में, जब कपिल देव का करियर समाप्ति की ओर बढ़ रहा था, उन्हें कुछ विवादों का सामना करना पड़ा। बीसीसीआई के साथ संबंधों में खटास और टीम चयन को लेकर उनका विरोध बढ़ गया था। 1994 में, कपिल देव ने एक बेहद चौंकाने वाला कदम उठाया और उन्होंने भारतीय क्रिकेट बोर्ड से अपनी अनौपचारिक बगावत की घोषणा की। उन्होंने चयन प्रक्रिया और टीम के फैसलों के खिलाफ आवाज उठाई।
इस विवाद के बाद बीसीसीआई ने उन्हें टीम से बाहर कर दिया और उन्हें खेलने से बैन कर दिया। कपिल देव के खिलाफ यह कदम इसलिए उठाया गया था क्योंकि उन्होंने बीसीसीआई की कुछ नीतियों और फैसलों पर सवाल उठाए थे। इसके कारण उनका क्रिकेट करियर अचानक संकट में पड़ गया था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपनी वापसी की उम्मीद नहीं छोड़ी।
कपिल देव की वापसी और टीम इंडिया के लिए योगदान:
कपिल देव ने अपनी बगावत के बाद भारतीय क्रिकेट से कुछ समय के लिए दूरी बनाई, लेकिन उनका नाम हमेशा भारतीय क्रिकेट में जीवित रहा। बीसीसीआई के बैन के बावजूद, उन्होंने फिर से अपने खेल को सुधारा और भारतीय टीम के कप्तान के रूप में एक नई शुरुआत की।
कपिल देव के योगदान को भारतीय क्रिकेट में कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। उनके नेतृत्व में भारत ने 1983 में वेस्ट इंडीज को हराकर क्रिकेट विश्व कप जीता, जो भारतीय क्रिकेट का स्वर्णिम पल था। कपिल देव ने न केवल कप्तान के रूप में सफलता हासिल की, बल्कि एक ऑलराउंडर के रूप में भी अपनी भूमिका को बखूबी निभाया। उनके नेतृत्व में भारत ने क्रिकेट की दुनिया में अपनी पहचान बनाई।
कपिल देव का योगदान और रिकॉर्ड:
कपिल देव का भारत के क्रिकेट इतिहास में योगदान अविस्मरणीय है। वह एक महान आलराउंडर थे, जिन्होंने बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में अपनी धाक जमाई। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 434 विकेट हासिल किए, जो उस समय एक रिकॉर्ड था। उनका सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत स्कोर 175 रन, जो उन्होंने 1983 के विश्व कप में ज़िम्बाब्वे के खिलाफ बनाया था, आज भी याद किया जाता है।
इसके साथ ही, कपिल देव के कप्तानी के दौरान भारत ने कई कठिन विदेशी दौरे और घरेलू सीरीज में जीत हासिल की। उन्होंने भारतीय क्रिकेट को नई दिशा दी और भारतीय खिलाड़ियों को आत्मविश्वास और साहस दिया। उनके योगदान से भारतीय क्रिकेट की नई पीढ़ी को प्रेरणा मिली, जो आज भी उनके योगदान को याद करती है।
कपिल देव का आज जन्मदिन है, और यह वह दिन है जब भारतीय क्रिकेट को एक महान नेता और खिलाड़ी मिला था। उनकी बगावत और बीसीसीआई से बैन की घटना ने उनके करियर को चुनौतीपूर्ण बना दिया था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। आज, कपिल देव भारतीय क्रिकेट के एक महान नायक के रूप में खड़े हैं, जिनकी बगावत ने उन्हें और मजबूत किया और उनकी सफलता को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया। उनकी क्रिकेट यात्रा और संघर्ष भारतीय क्रिकेट के इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा।