कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क।भारत जोड़ो यात्रा के बाद, कांग्रेस पार्टी अब हरियाणा में संविधान बचाओ रैलियां आयोजित करने की योजना बना रही है, जिसका उद्देश्य देश में लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए जनता को जागरूक करना है। यह रैलियां आगामी दिनों में हरियाणा के विभिन्न हिस्सों में आयोजित की जाएंगी, लेकिन एक महत्वपूर्ण बात यह है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुमारी शैलजा और अजय माकन जैसे नेताओं के समर्थक सुरजेवाला गुट इसमें हिस्सा नहीं लेंगे।
संविधान बचाओ रैलियां – कांग्रेस का नया आंदोलन:
कांग्रेस पार्टी ने इन रैलियों का आयोजन संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ बढ़ते खतरे को लेकर किया है। पार्टी का कहना है कि मौजूदा सरकार देश के संविधान को कमजोर कर रही है, और यह आंदोलन इस संविधान की रक्षा के लिए किया जाएगा। रैलियों के दौरान यह मुद्दा उठाया जाएगा कि संविधान को सही तरीके से लागू किया जाए, और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जाए। कांग्रेस के अनुसार, यह एक सशक्त प्रयास होगा ताकि लोग संवैधानिक अधिकारों के बारे में जागरूक हो सकें और देश में बढ़ते असहमति दबाने के प्रयासों का विरोध किया जा सके।
सैलजा-सुरजेवाला गुट का बहिष्कार:
हालांकि, इन रैलियों में कांग्रेस के दो प्रमुख गुट – कुमारी शैलजा और अजय माकन गुट, जिन्हें हरियाणा में एक मजबूत राजनीतिक आधार प्राप्त है, शामिल नहीं होंगे। सैलजा और सुरजेवाला का यह निर्णय कांग्रेस के भीतर बढ़ते आंतरिक मतभेदों और नेतृत्व के संघर्षों को दर्शाता है। बताया जा रहा है कि इन दोनों नेताओं के समर्थक इस रैली में शामिल नहीं होंगे, क्योंकि उन्हें लगता है कि पार्टी का नेतृत्व इन मुद्दों पर उनका समर्थन नहीं कर रहा है और पार्टी में विचारधारा के संकट को नजरअंदाज किया जा रहा है।
इसके अलावा, इन दोनों नेताओं ने पहले भी पार्टी के भीतर अपने गुटीय रुझान के तहत कई बार आवाज उठाई थी और अब उनकी ओर से इस आंदोलन का बहिष्कार एक तरह से उनकी असहमति को सार्वजनिक कर रहा है।
कांग्रेस की रणनीति और आगामी चुनाव:
कांग्रेस पार्टी ने संविधान बचाओ रैलियों को अपने आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव में प्रचार का हिस्सा बनाने का निर्णय लिया है। पार्टी नेताओं का मानना है कि इन रैलियों के जरिए वे जनता के बीच अपनी छवि सुधारने में सफल होंगे और उन मुद्दों पर बात करेंगे, जो जनता के दिलों में गहरे असर छोड़ने वाले हैं। इसके साथ ही, पार्टी यह भी चाहती है कि हरियाणा में आने वाले चुनाव में वह एक मजबूत स्थिति में रहे और पार्टी के पुराने नेतृत्व को पुनः सक्रिय किया जाए।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य और नेतृत्व के मतभेद:
हरियाणा में कांग्रेस पार्टी के भीतर की स्थिति लगातार बदलती रही है। कुमारी शैलजा और कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला जैसे नेताओं के समर्थक लंबे समय से पार्टी नेतृत्व से असंतुष्ट रहे हैं। उनके मुताबिक, पार्टी नेतृत्व ने राज्य में उनका पर्याप्त ध्यान नहीं दिया और उन्हें संगठनात्मक दृष्टिकोण से नजरअंदाज किया है। अब संविधान बचाओ रैलियों में इन दोनों नेताओं का गुट शामिल नहीं हो रहा है, जो कांग्रेस के भीतर बढ़ती राजनीतिक असहमति को और गहरा कर रहा है।
कांग्रेस पार्टी की संविधान बचाओ रैलियां हरियाणा में एक नई राजनीतिक बहस को जन्म देंगी। हालांकि, पार्टी के भीतर के मतभेद और शैलजा-सुरजेवाला गुट का बहिष्कार यह संकेत देता है कि कांग्रेस के अंदर नेतृत्व को लेकर गंभीर मतभेद हैं। यह स्थिति पार्टी के लिए चुनौतियां पेश कर सकती है, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस संविधान की रक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को साबित करने का प्रयास कर रही है।