कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क।मालदीव के रक्षा मंत्री मोहम्मद घासन मौमून आज भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से नई दिल्ली में मुलाकात करेंगे। इस बैठक में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा होगी। रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी, जिसमें कहा गया कि दोनों मंत्री मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स (MNDF) की क्षमता बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार करेंगे।
बैठक के प्रमुख मुद्दे:
1. प्रशिक्षण और रक्षा अभ्यास: बैठक के दौरान, दोनों देशों के बीच संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास और सैन्य सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हो सकती है, ताकि मालदीव की रक्षा क्षमता को और सुदृढ़ किया जा सके।
2. रक्षा उपकरणों की आपूर्ति: मालदीव को भारतीय रक्षा उपकरणों की आपूर्ति पर भी बात की जाएगी। इससे मालदीव की सैन्य क्षमता में वृद्धि होगी और सुरक्षा साझेदारी को और मजबूत किया जा सकेगा।
3. रक्षा परियोजनाएं: द्विपक्षीय रक्षा परियोजनाओं के तहत, भारत मालदीव को सुरक्षा उपकरण, विवरणी निगरानी प्रणाली और अन्य रणनीतिक जरूरतों में सहयोग प्रदान कर सकता है।
4. सामरिक सहयोग: भारत और मालदीव के बीच सामरिक सहयोग को बढ़ाने के उद्देश्य से समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद, और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी चुनौतियों पर भी विचार हो सकता है।
भारत-मालदीव रक्षा सहयोग का महत्व:
भारत और मालदीव के बीच रक्षा संबंधों को लगातार प्रगति मिल रही है। मालदीव की समुद्र के रास्ते सुरक्षा और उसकी क्षेत्रीय स्थिरता में भारत की भूमिका अहम है। समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग दोनों देशों के लिए प्राथमिकता हैं, और यह बैठक इन दोनों पहलुओं पर फोकस कर सकती है।
मालदीव के लिए भारत का समर्थन:
भारत ने हमेशा मालदीव को सैन्य और आर्थिक सहयोग प्रदान किया है। भारतीय रक्षा बलों ने कई बार मालदीव में मानवीय सहायता और सैन्य सहायता भेजी है, खासकर प्राकृतिक आपदाओं के दौरान। दोनों देशों के रिश्ते संवेदनशील क्षेत्रीय मुद्दों पर भी साझेदारी पर आधारित हैं, जिसमें हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा और चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति के खिलाफ संयुक्त रणनीति शामिल है।
भारत और मालदीव के रक्षा मंत्रियों की यह बैठक दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और सुदृढ़ करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने, संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण, और सामरिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस बैठक से उम्मीद जताई जा रही है कि दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा, सैन्य उपकरणों की आपूर्ति, और रक्षा रणनीतियों पर आगे बढ़ने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।