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राज्य उपभोक्ता आयोग का हाल: पांच में से चल रहा सिर्फ एक कोर्ट, 15 हजार मामलों में बस तारीख पर तारीख

राज्य उपभोक्ता आयोग में करीब 15 हजार मामले लंबित हैं लेकिन इसमें पांच में से चार कोर्ट बंद हैं। ऐसे में उपभोक्ताओं को न्याय के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Admin
  • Updated: December 18, 2025

राज्य उपभोक्ता आयोग का हाल: पांच में से चल रहा सिर्फ एक कोर्ट, 15 हजार मामलों में बस तारीख पर तारीख

राज्य उपभोक्ता आयोग में करीब 15 हजार मामले लंबित हैं लेकिन इसमें पांच में से चार कोर्ट बंद हैं। ऐसे में उपभोक्ताओं को न्याय के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। राज्य उपभोक्ता आयोग में सिर्फ एक कोर्ट संचालित हो रहा है, जबकि चार बंद हैं। इससे आम लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। करीब 15 हजार मामले लंबित हैं। अधिकतर में रोज तारीख पर तारीख ही मिल रही है। इस स्थिति में वाद दायर करने वालों को न्याय मिलने में लंबा वक्त लग रहा है। गोमतीनगर स्थित राज्य उपभोक्ता आयोग में पांच कोर्ट हैं। प्रत्येक कोर्ट में एक न्यायमूर्ति व एक सदस्य होना जरूरी है। तभी पीठ सुनवाई कर सकती है। न्यायमूर्ति और सदस्य एक एक कर सेवानिवृत्त होते गए। नतीजतन एक एक कर कोर्ट का संचालन बंद होता गया। वर्तमान में आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव और सदस्य सुधा उपाध्याय हैं। केवल यही पीठ मामलों की सुनवाई कर रही है। ऐसे में रोजाना 100-125 मामलों की सुनवाई हो पा रही है जबकि 15 हजार से अधिक मामले लंबित हैं। जब तक अन्य कोर्ट संचालित नहीं हो जाते तब तक सुनवाई में तेजी नहीं आएगी और लंबित मामलों की संख्या बढ़ती ही जाएगी। दस-दस महीने बाद की मिल रहीं तारीखें
आयोग में प्रदेश भर के मामलों की सुनवाई होती है। है। जिन मामलों में जिला उपभोक्ता आयोग फैसला सुनाता है। असंतुष्ट पक्ष राज्य आयोग में अपील करता है। सिर्फ एक कोर्ट संचालित होने की वजह से मामलों में सिर्फ तारीखें मिल रही हैं। वह भी दस-दस महीने के बाद की। इससे वाद दायर करने वालों को काफी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। वह न्याय पाने के लिए आयोग का दरवाजा खटखटाते हैं लेकिन उसमें वर्षों का वक्त लग रहा है।

सात-आठ महीने से दिक्कत बढ़ी
आयोग में पहले दो कोर्ट बंद हुई लेकिन तीन कोर्ट चल रही थीं। इससे मामले कम लंबित थे और लोगों को जल्द की तारीखें मिल रही थीं। लेकिन पिछले सात-आठ महीने में इन तीन में से दो और कोर्ट बंद हो गए। क्योंकि न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त हो गए और सदस्य का कार्यकाल पूरा हो गया। तब से दिक्कत अधिक हो गई।

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