लखनऊ, कैनविज टाइम्स संवाददाता। सीएसआईआर केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान लखनऊ ने संस्थान के प्लेटिनम जुबली समारोहों के अंतर्गत औषधि खोज एवं विकास: अतीत, वर्तमान एवं भविष्य विषय पर दो दिवसीय संगोष्ठी के साथ अपनी प्रथम एलुमनाई मीट 2025 का आयोजन किया। कार्यक्रम का प्रथम दिवस गुरुवार को सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर सीडीआरआई के प्रतिष्ठित पूर्व छात्र, वैज्ञानिक, शिक्षाविद्, उद्योग विशेषज्ञ, शोधकर्ता एवं विद्यार्थी एकत्रित हुए और औषधि खोज, विकास तथा जैव-चिकित्सकीय अनुसंधान में संस्थान के सात दशकों से अधिक के समृद्ध योगदान का उत्सव मनाया। दिन भर के कार्यक्रम में आकर्षक एलुमनाई टॉक सीरीज़, एलुमनाई स्मृति सत्र, कैम्पस भ्रमण तथा सांस्कृतिक संध्या आयोजित की गई, जिसने वैज्ञानिक विमर्श, स्मृतियों और सांस्कृतिक उत्सव का सुंदर संगम प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ सीएसआईआर सीडीआरआई ऑडिटोरियम में आयोजित उद्घाटन सत्र से हुआ। डॉ. राधा रंगराजन, निदेशक सीएसआईआर सीडीआरआई ने स्वागत भाषण देते हुए स्वदेशी औषधि खोज, ट्रांसलेशनल अनुसंधान तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राथमिकताओं में संस्थान के सात दशकों के योगदान को रेखांकित किया। उद्घाटन सत्र में डॉ. एन. कलैसेल्वी, महानिदेशक, सीएसआईआर का वीडियो संदेश भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें उन्होंने सीएसआईआर सीडीआरआई द्वारा प्रथम एलुमनाई मीट के आयोजन की सराहना की तथा वैज्ञानिक उत्कृष्टता, नवाचार और सामाजिक प्रभाव की संस्थान की सुदृढ़ परंपरा की प्रशंसा की। वहीं डॉ. राधा रंगराजन ने सीएसआईआर सीडीआरआई में चल रही वैज्ञानिक गतिविधियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। डॉ. आमिर नज़ीर, आयोजन समिति के अध्यक्ष ने एलुमनाई मीट एवं प्लेटिनम जुबली समारोहों के उद्देश्यों को रेखांकित किया। मुख्य अतिथि डॉ. राम ए. विश्वकर्मा, विशिष्ट वैज्ञानिक, सीएसआईआर सीडीआरआई ने औषधि खोज, औषधीय रसायन, जनस्वास्थ्य तथा वैश्विक जैव-चिकित्सकीय अनुसंधान में सीडीआरआई एलुमनाई के परिवर्तनकारी योगदान को रेखांकित किया। उद्घाटन सत्र डाॅ संजीव यादव के धन्यवाद प्रस्ताव से हुआ।

तत्पश्चात प्रथम दिवस की एलुमनाई टॉक सीरीज़ में कई प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों ने अपने अनुभव साझा किए। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध वैश्विक स्वास्थ्य एवं संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. अल्ताफ़ लाल ने कश्मीर से सीडीआरआई और उसके बाद एनआईएच, सीडीसी, एफडीए एवं अन्य वैश्विक संस्थानों में नेतृत्वकारी भूमिकाओं तक की अपनी प्रेरक यात्रा साझा की। प्रथम दिवस का समापन संगम बैंड द्वारा प्रस्तुत रंगारंग सांस्कृतिक संध्या के साथ हुआ, जिसने संगीत और आपसी मेल-मिलाप का उत्सव मनाया तथा एलुमनाई, वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों एवं अतिथियों को अनौपचारिक रूप से जुड़ने का अवसर प्रदान किया।

