कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। ज़ुकेरबर्ग की टिप्पणी के बाद यह खबर सामने आई कि उन्होंने भारतीय सरकार और उसकी नीतियों को लेकर कुछ नकारात्मक विचार व्यक्त किए थे। हालांकि, टिप्पणी का पूरा संदर्भ सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन खबरों के अनुसार, वह भारत में अपनी कंपनी की समस्याओं और वहां के नियमों को लेकर निराश थे। उन्होंने भारत के ऑनलाइन कंटेंट को नियंत्रित करने के तरीकों और डिजिटल नीतियों को लेकर अपनी आलोचना की थी। इसके बाद भारत में इस पर तीव्र प्रतिक्रियाएँ शुरू हो गईं, खासकर सोशल मीडिया और राजनीतिक नेताओं के बीच।
Meta का माफी मांगना
ज़ुकेरबर्ग की टिप्पणी के बाद Meta ने तुरंत इस पर प्रतिक्रिया दी और एक आधिकारिक बयान जारी कर माफी मांगी। कंपनी ने कहा कि उनकी टिप्पणी गलत तरीके से प्रस्तुत की गई और इसका कोई नकारात्मक इरादा नहीं था। Meta के प्रवक्ता ने कहा, "हम भारत और वहां के लोगों का अत्यधिक सम्मान करते हैं और हमारी टिप्पणी का मकसद कभी भी किसी को आहत करने का नहीं था। हम किसी भी प्रकार के असमझे विवाद के लिए माफी मांगते हैं।"
भारत में विवाद का असर
भारत में इस बयान को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने कड़ी आलोचना की थी। भारतीय नेताओं ने इसे भारत की संप्रभुता और डिजिटल स्वायत्तता पर हमला मानते हुए प्रतिक्रिया दी। भाजपा ने इसे भारत के खिलाफ एक अप्रत्यक्ष हमला करार दिया और कहा कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने भी इस पर सवाल उठाए और ज़ुकेरबर्ग से स्पष्टीकरण की मांग की। भारत Meta के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है, और यहां पर Facebook, Instagram और WhatsApp जैसे प्लेटफार्मों के करोड़ों उपयोगकर्ता हैं। इसके बावजूद, भारत सरकार और Meta के बीच कई मुद्दों पर तनाव रहा है, खासकर डेटा सुरक्षा और सोशल मीडिया कंटेंट को लेकर। कई बार भारत सरकार ने Meta सहित अन्य कंपनियों से डेटा सुरक्षा और कंटेंट मॉडरेशन को लेकर कड़े कदम उठाने को कहा है, जो अक्सर इन कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है।