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Noise Pollution: ध्वनि प्रदूषण की जद में दिल्ली, करोलबाग में सबसे ज्यादा शोरगुल; जानिए किस नंबर पर है आपका इलाका

दिल्ली
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kanwhiz Times
  • Updated: March 3, 2025

कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। दिल्ली में ध्वनि प्रदूषण अब एक गंभीर समस्या बन गई है, और हाल ही में किए गए अध्ययनों के अनुसार, करोलबाग क्षेत्र में सबसे अधिक शोरगुल पाया जा रहा है। दिल्ली में बढ़ते शोर के कारण लोग मानसिक और शारीरिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं। इस समस्या को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि शोर का स्तर इतना बढ़ चुका है कि यह लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है, खासकर उनके मानसिक संतुलन को।

ध्वनि प्रदूषण को लेकर हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की गई, जिसमें दिल्ली के विभिन्न इलाकों में शोर के स्तर का आकलन किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, करोलबाग सबसे ऊपर है, जहां शोर का स्तर सबसे ज्यादा पाया गया। इसके बाद अन्य इलाकों में जैसे कश्मीरी गेट, आलीपुर, सदर बाजार, और साहिबाबाद जैसे क्षेत्र भी उच्च शोर स्तर के मामले में शामिल हैं।

दिल्ली में ध्वनि प्रदूषण के कारण:
    1.    वाहन की आवाज़ें: दिल्ली में लगातार बढ़ते वाहनों की संख्या और जाम के कारण सड़क पर शोर का स्तर लगातार बढ़ रहा है।
    2.    बाजारों में शोर: खासकर व्यापारिक क्षेत्रों जैसे करोलबाग, चांदनी चौक आदि में दुकानदारों द्वारा जोर-जोर से आवाज़ लगाना, लाउडस्पीकर का इस्तेमाल और भीड़भाड़ के कारण शोर अधिक होता है।
    3.    निर्माण कार्य: शहर के विभिन्न हिस्सों में निर्माण कार्य के चलते भारी मशीनों की आवाज़ भी शोर के स्तर को बढ़ाती है।
    4.    धार्मिक आयोजनों और जुलूसों का शोर: धार्मिक आयोजनों और जुलूसों में लाउडस्पीकर का अत्यधिक इस्तेमाल और तेज आवाज़ें भी ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती हैं।

ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव:
    •    मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: शोर के कारण तनाव, चिंता और नींद की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
    •    शारीरिक समस्याएं: उच्च शोर स्तर से रक्तचाप बढ़ सकता है और हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है।
    •    सुनने की क्षमता पर असर: लगातार तेज आवाजों से सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।

समाधान:
    1.    शोर स्तर की निगरानी: शोर के स्तर की लगातार निगरानी रखी जाए और संबंधित अधिकारियों को इसकी सूचना दी जाए।
    2.    लाउडस्पीकर पर नियंत्रण: लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर कड़ी निगरानी रखी जाए, खासकर रात के समय।
    3.    यातायात प्रबंधन: सड़कों पर वाहनों की आवाज़ को कम करने के लिए यातायात नियंत्रण उपायों को बढ़ाया जाए।
    4.    शिक्षा और जागरूकता: नागरिकों को ध्वनि प्रदूषण के खतरों के बारे में जागरूक किया जाए।

दिल्ली में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के बीच, समय रहते कदम उठाना जरूरी है ताकि लोगों को इसके हानिकारक प्रभावों से बचाया जा सके और शांति को सुनिश्चित किया जा सके।

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