कैनविज टाइम्स, हेल्थ डेस्क। हीमोफीलिया एक विरासत में मिलने वाली बीमारी है, जिसमें खून का थक्का बनने की क्षमता कमजोर हो जाती है। इसका मतलब है कि चोट लगने या घाव होने पर रक्तस्राव अधिक समय तक रुकता नहीं है, जो जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है। 17 अप्रैल को World Hemophilia Day मनाने का उद्देश्य इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाना है।
हीमोफीलिया के प्रमुख लक्षण
1. अत्यधिक रक्तस्राव: मामूली चोटों के बाद भी खून का बहाव अधिक समय तक जारी रहना।
2. साझे जोड़ों में दर्द और सूजन: जैसे घुटनों, कोहनी और टखनों में सूजन और दर्द।
3. मांसपेशियों में खिंचाव और सूजन: बिना किसी बड़े कारण के मांसपेशियों में दर्द या सूजन।
4. स्वाभाविक रूप से रक्तस्राव: बगैर किसी चोट के खून बहना, जैसे मसूड़ों से खून आना या नाक से खून बहना।
5. लंबे समय तक घाव ठीक होना: मामूली घाव भी लंबे समय तक ठीक नहीं होते।
हीमोफीलिया के प्रकार
1. हेमोफीलिया A (फैक्टर VIII की कमी)
2. हेमोफीलिया B (फैक्टर IX की कमी)
3. हेमोफीलिया C (फैक्टर XI की कमी)
बचाव और उपचार के तरीके
1. ठोस उपचार: हेमाफीलिया का इलाज मुख्य रूप से फैक्टर की कमी को पूरा करके किया जाता है, जिसे जीवनभर थेरपी की आवश्यकता होती है।
2. स्वस्थ आहार: शरीर की प्रतिरक्षा को मजबूत रखने के लिए पौष्टिक और संतुलित आहार लेना जरूरी है।
3. सावधानी बरतें: चोटों से बचने के लिए ऐसी गतिविधियों से बचें जो संभावित चोट का कारण बन सकती हैं।
4. घावों का ध्यान रखें: यदि चोट लगती है तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें और खून के बहाव को नियंत्रित करने के उपायों का पालन करें।
5. समय-समय पर जांच: नियमित रूप से डॉक्टर से संपर्क करें और अपने रक्त के कारकों की जांच कराएं।