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Worship Act: ओवैसी, इकरा और कांग्रेस ने दाखिल की याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा- हद होती है

सुप्रीम कोर्ट
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kanwhiz Times
  • Updated: February 17, 2025

कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की वैधता से संबंधित कई नई याचिकाओं के दायर होने पर नाराजगी व्यक्त की है। इन याचिकाओं में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा चौधरी और कांग्रेस पार्टी शामिल हैं, जो इस कानून के प्रभावी कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि याचिकाएं दायर करने की एक सीमा होती है, और बहुत सारे अंतरिम आवेदन दायर किए गए हैं, जिन पर शायद विचार नहीं किया जा सके। अब इस पर सुनवाई अप्रैल के पहले सप्ताह में होगी।

याचिका दाखिल करने की सीमा होती है

वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने एक नई याचिका का जिक्र किया तो मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम इस पर शायद विचार नहीं कर पाएंगे। सीजेआई ने कहा कि याचिकाएं दायर करने की एक सीमा होती है। इतने सारे आईए (अंतरिम आवेदन) दायर किए गए हैं। हम शायद इस पर सुनवाई न कर पाएं। पिछले साल 12 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने हिंदू पक्षों की 18 याचिकाओं पर कार्यवाही करने पर रोक लगा दी थी। इन याचिकाओं में ज्ञानवापी, मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद और संभल में शाही जामा मस्जिद समेत 10 मस्जिदों के सर्वेक्षण की मांग की गई थी। इसके बाद अदालत ने सभी याचिकाओं को 17 फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था।

ओवैसी, इकरा हसन और कांग्रेस ने दाखिल की याचिका

12 दिसंबर के बाद असदुद्दीन ओवैसी, सपा सांसद इकरा हसन और कांग्रेस ने भी याचिकाएं दाखिल कीं। इसमें देशभर में पूजा स्थल अधिनियम-1991 को पूरे देश में प्रभावी रूप से लागू करने की मांग की गई थी। इकरा हसन ने 14 फरवरी को मस्जिदों और दरगाहों को निशाना बनाकर कानूनी कार्रवाई की बढ़ती प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने की मांग की। उनका कहना है कि इससे सांप्रदायिक सद्भाव और देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को खतरा है।

हिंदू संगठनों ने भी दाखिल की याचिका

अखिल भारतीय संत समिति ने भी एक याचिका दाखिल की है। वहीं पीठ अभी छह याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इसमें एक याचिका वकील अश्विनी उपाध्याय की है। उपाध्याय ने अपनी याचिका में पूजा स्थल अधिनियम 1991 के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी है। उन्होंनेअधिनियम की धारा 2, 3 और 4 को अलग करने की मांग की है।

 

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