कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। लखनऊ की उच्च न्यायालय की बेंच ने 30 साल पुरानी याचिका को खारिज करते हुए किरायेदार पर 15 लाख रुपये का हर्जाना लगाया है। यह मामला 1979 से जुड़ा हुआ है, जब किरायेदार ने संपत्ति मालिक को किराया नहीं दिया था। न्यायालय ने यह कड़ा निर्णय न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ में सुनाया, और इसमें किरायेदार ‘वोहरा ब्रदर्स’ द्वारा याचिका खारिज कर दी गई।
संपत्ति स्वामिनी ने 1981 में अपनी संपत्ति को खाली करने का अनुरोध किया था, ताकि वह अपने बेटे के लिए व्यवसाय स्थापित कर सकें। हालांकि, किरायेदार ने इसे मुकदमेबाजी में उलझा दिया और न्यायालय की प्रक्रिया को लंबा खींचा। न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा कि इस तरह से 40 सालों तक संपत्ति का सही उपयोग नहीं हो सका और एक पूरी पीढ़ी को अपने अधिकारों से वंचित कर दिया गया।
कोर्ट ने आदेश दिया कि किरायेदार को 15 लाख रुपये का हर्जाना देना होगा और यदि दो माह के भीतर यह राशि जमा नहीं की जाती, तो जिलाधिकारी को वसूली की कार्रवाई करनी होगी। इस मामले में न्यायालय की यह टिप्पणी विशेष रूप से इस बात पर जोर देती है कि किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति के उपयोग से वंचित करना और कानूनी प्रक्रियाओं में समय का अपव्यय करना समाज और न्याय व्यवस्था के लिए हानिकारक होता है।