कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा (Resignation) दे दिया है. उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता (Primary Membership of Congress Party) भी छोड़ दी है. गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को पांच पन्नों का इस्तीफा भेजा है. गुलाम नबी आजाद कांग्रेस का बड़ा चेहरा माने जाते रहे हैं. पूर्व में वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे हैं.
सोनिया गांधी को लिखे इस्तीफे में गुलाम नबी आजाद ने लिखा, ”बड़े खेद और बेहद भावुक हृदय के साथ मैंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अपना आधा शताब्दी पुराना नाता तोड़ने का फैसला किया है.”
उन्होंने कहा कि राहुल की लीडरशिप में पार्टी के सभी वरिष्ठ अनुभवी नेताओं को कांग्रेस में पूरी तरह से साइडलाइन कर दिया गया. अनुभवहीन नेता पार्टी के मामले देखने लगे. इसके बाद से लगातार कांग्रेस को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. 2014 से लेकर अभी तक कांग्रेस दो लोकसभा चुनाव हार चुकी है.
गुलाम नबी ने कहा कि 2014 से 2022 के बीच 49 विधानसभा चुनाव हुए, जिनमें से 39 में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है. कांग्रेस को चार राज्यों में जीत मिली तो 6 राज्यों में सहयोगी दल की सरकार बनी. मौजूदा समय में कांग्रेस सिर्फ दो राज्यों में ही सत्ता में है और दो राज्यों में सहयोगी दल के तौर पर शामिल है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की स्थिति को लेकर पार्टी के 23 वरिष्ठ साथियों ने शीर्ष नेतृत्व को अपने सुझाव दिए थे, लेकिन उन्हें नहीं माना गया. ऐसे में राहुल गांधी ने उसे अपने ऊपर निजी तौर पर लिया था.
रिमोट कंट्रोल से चल रही कांग्रेस… गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे की 10 बड़ी बातें
आजाद ने कहा कि कांग्रेस में कमजोरियों के बारे में बताने वाले 23 नेताओं को गाली दी गई. उन्हें अपमानित और बदनाम किया गया. कांग्रेस उस स्थिति पर पहुंच गई है जहां से वापसी नहीं हो सकती है. पार्टी का नेतृत्व संभालने के लिए ‘प्रॉक्सी’ का सहारा लिया जा रहा है.
उन्होंने लिखा है कि संगठन के किसी भी स्तर पर किसी भी स्थान पर चुनाव नहीं हुए हैं. कांग्रेस के चुने हुए लेफ्टिनेंट्स को पार्टी चलाने वाली मंडली द्वारा तैयार की गई सूचियों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया है. पार्टी पर बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी करने के लिए नेतृत्व पूरी तरह से जिम्मेदार है.
गुलाम नबी आजाद ने पत्र में सोनिया गांधी को भी निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि इससे भी बदतर ‘रिमोट कंट्रोल मॉडल’ था, जिसने यूपीए सरकार की संस्थागत अखंडता को ध्वस्त कर दिया. ‘रिमोट कंट्रोल मॉडल’ अब कांग्रेस में भी लागू हो गया है.
आजाद ने चिट्ठी में लिखा कि म