कैनवीज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। चीन में एक बार फिर कोरोना वायरस (COVID-19) के मामलों में तेजी देखी जा रही है, जिसके कारण सरकार ने कई बड़े शहरों में लॉकडाउन लागू कर दिए हैं। बीजिंग, शंघाई, और ग्वांगझो जैसे प्रमुख शहरों में संक्रमण की बढ़ती दर को देखते हुए कड़े उपायों का ऐलान किया गया है। अधिकारियों ने कोरोना के फैलाव को नियंत्रित करने के लिए संक्रमित इलाकों को पूरी तरह से बंद करने की घोषणा की है, जिससे लोगों के जीवन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
लॉकडाउन की घोषणा:
चीन के विभिन्न क्षेत्रों में कोरोना मामलों में अचानक वृद्धि होने के बाद, चीन सरकार ने एक बार फिर शून्य-कोविड नीति (Zero-Covid Policy) के तहत लॉकडाउन और कड़े प्रतिबंध लागू किए हैं। इस नीति के तहत, संक्रमित क्षेत्रों में कर्फ्यू, मंगलवार से लेकर शुक्रवार तक स्कूलों और दफ्तरों की बंदी, और स्वास्थ्य परीक्षण के आदेश दिए गए हैं।
बीजिंग और ग्वांगझो जैसे बड़े शहरों में 10 लाख से अधिक लोगों को घरों में रहने की सलाह दी गई है, और सार्वजनिक परिवहन सेवाएं भी रोक दी गई हैं। वहीं, व्यापारिक गतिविधियों और सार्वजनिक स्थल जैसे रेस्तरां, शॉपिंग मॉल, और जिम भी बंद कर दिए गए हैं।
कोरोना के मामलों में वृद्धि:
चीन में कोरोना के मामलों में अचानक वृद्धि के कारण यह कदम उठाया गया। चीन के स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ हफ्तों में कोविड-19 के मामलों में 25% से अधिक की वृद्धि देखी गई है। बीजिंग, हेबेई, और सिचुआन जैसे प्रांतों में संक्रमण की दर सबसे अधिक बढ़ी है। स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि इन इलाकों में वायरस के नए वेरिएंट के कारण स्थिति बिगड़ी है, जो अधिक तेजी से फैलता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ओमिक्रोन वेरिएंट का एक नया सब-लाइनाज, जो अब चीन में प्रचलित हो गया है, संक्रमण के फैलने की गति को तेज कर रहा है। इसके अलावा, ठंडे मौसम के कारण वायरस के फैलने में और अधिक मदद मिल रही है, क्योंकि सर्दी में लोग अधिक समय indoors रहते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
स्वास्थ्य संकट:
चीन में कोरोना वायरस के मामलों में तेजी आने के कारण, अस्पतालों में बिस्तरों की कमी की समस्या भी बढ़ गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, बीजिंग और शंघाई के बड़े अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए विशेष वार्ड और चिकित्सा सुविधाओं की कमी हो गई है। मरीजों को उपचार देने में स्वास्थ्य कर्मियों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
इसके अलावा, चीन के वैक्सीनेशन अभियान में भी कुछ चुनौतियाँ सामने आई हैं, क्योंकि चीन की बनाई गई वैक्सीन (Sinovac) की प्रभावशीलता को लेकर कुछ सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि चीन ने अपनी वैक्सीनेशन प्रक्रिया को और तेज नहीं किया और बूस्टर डोज़ पर ध्यान नहीं दिया, तो कोरोना के मामले और बढ़ सकते हैं।
लॉकडाउन से जुड़ी कठिनाइयाँ:
लॉकडाउन और कड़े प्रतिबंधों का लागू होना आम लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। व्यापार, नौकरी, और दिन-प्रतिदिन की जीवनचर्या में भारी व्यवधान उत्पन्न हो गया है। विशेषकर किराने की दुकानों, औषधियों, और आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति में दिक्कतें आ रही हैं।
चीन के कई नागरिकों ने ऑनलाइन शॉपिंग और होम डिलीवरी का सहारा लिया है, लेकिन बंदी और कर्फ्यू के कारण कई क्षेत्रों में ये सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं। आर्थिक गतिविधियों में भारी गिरावट आई है, जिससे चीन की अर्थव्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
सरकार की प्रतिक्रिया:
चीन के स्वास्थ्य मंत्रालय और स्थानीय सरकारें इस स्थिति से निपटने के लिए अतिरिक्त उपायों की योजना बना रही हैं। अधिकारियों ने कहा है कि इस लॉकडाउन का उद्देश्य संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ना है और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही, सरकार ने टेस्टिंग अभियान को भी तेज करने का ऐलान किया है ताकि कोरोना के फैलाव को जल्द से जल्द रोका जा सके।
इसके अलावा, चीन की सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि महामारी के इस संकट के दौरान आवश्यक सेवाएं और आपूर्ति श्रृंखलाएं पूरी तरह से कार्यशील रहें।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
चीन के लॉकडाउन और कोविड-19 मामलों में वृद्धि ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी चिंता पैदा कर दी है। वैश्विक बाजार, जो पहले ही कोविड-19 महामारी के कारण अस्थिर थे, अब फिर से मंदी की ओर बढ़ सकते हैं। साथ ही, चीन जैसे बड़े आर्थिक राष्ट्र के लॉकडाउन के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि चीन का यह नया लॉकडाउन, खासकर शंघाई और ग्वांगझो जैसे औद्योगिक केंद्रों में, वैश्विक व्यापार और आपूर्ति नेटवर्क को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा, चीन के निर्माण और निर्माण उद्योगों में भी गिरावट आ सकती है, क्योंकि कई निर्माण परियोजनाएं ठप हो सकती हैं । चीन में कोरोना के मामलों में तेजी और लॉकडाउन की स्थिति, इस समय वैश्विक स्वास्थ्य और आर्थिक संकट को और बढ़ा सकती है। चीन की शून्य-कोविड नीति के तहत इस महामारी से निपटने के प्रयास जारी हैं, लेकिन इससे पैदा होने वाली कठिनाइयां और आर्थिक असर दोनों ही चिन्ता का विषय हैं। वैश्विक समुदाय को इस स्थिति पर करीबी नजर रखनी होगी, ताकि भविष्य में इस तरह के संकटों से निपटने के लिए बेहतर उपाय तैयार किए जा सकें।