Search News

पौषा पुत्रदा एकादशी 2025: एकादशी पर भगवान श्री कृष्ण के इन मंत्रों का जाप, कट जाएंगे सभी पाप

धर्म
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kanwhizz Times
  • Updated: January 10, 2025

कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क।पौष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पौषा पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति के लिए महत्व रखती है और साथ ही यह सभी प्रकार के पापों के नाश का कारण बनती है। इस दिन व्रत रखने और विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण के मंत्रों का जाप करने से जीवन में समृद्धि और पुण्य की प्राप्ति होती है।

एकादशी का महत्व:

पौषा पुत्रदा एकादशी का व्रत विशेष रूप से संतान की कामना रखने वाले व्यक्तियों के लिए फलदायी माना जाता है। इस दिन व्रति (व्रत करने वाले) भगवान श्री कृष्ण की पूजा करके संतान सुख की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसके अलावा, यह व्रत मानसिक और शारीरिक शुद्धि के लिए भी किया जाता है।

इस दिन उपवासी रहते हुए विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण के मंत्रों का जाप करने से सभी प्रकार के पाप समाप्त हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।

भगवान श्री कृष्ण के मंत्र:

पौषा पुत्रदा एकादशी पर निम्नलिखित मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है:
    1.    “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
यह मंत्र भगवान श्री कृष्ण के शुद्ध रूप की उपासना करने का मंत्र है। इसे हर दिन, विशेष रूप से एकादशी पर, जाप करने से सभी पापों का नाश होता है और भक्ति में वृद्धि होती है।
    2.    “ॐ श्री कृष्णाय गोविंदाय गोविंदाय नमो नमः”
यह मंत्र भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है, जो संतान सुख और जीवन में खुशहाली लाने वाला है।
    3.    “हे कृष्ण! हे यदुनंदन! श्री कृष्ण! शरणं मम”
यह मंत्र भगवान श्री कृष्ण से शरण प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण मंत्र है, जो दुखों से मुक्ति दिलाता है और मनुष्य के जीवन में शांति स्थापित करता है।
    4.    “ॐ राधायै नमः”
राधा कृष्ण के मिलन का प्रतीक है और इस मंत्र के जाप से जीवन में प्रेम और सौभाग्य की वृद्धि होती है।

एकादशी व्रत विधि:
    1.    स्नान और व्रत की शुरुआत: एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें।
    2.    भगवान कृष्ण की पूजा: भगवान श्री कृष्ण की विधिपूर्वक पूजा करें, ताजे फूल, दीपक और प्रसाद अर्पित करें।
    3.    मंत्र जाप: पूरे दिन में इन मंत्रों का जाप करें। आप इसे 108 बार या अपनी क्षमता के अनुसार अधिक बार कर सकते हैं।
    4.    रात्रि जागरण: एकादशी की रात को जागकर भगवान कृष्ण की कथा सुनें या उनका ध्यान करें।
    5.    उपवासी रहना: एकादशी के दिन उपवासी रहना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है, लेकिन अगर यह कठिन हो तो फलाहार कर सकते हैं।

Breaking News:

Recent News: