कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क।प्रदोष व्रत विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। माघ माह का पहला प्रदोष व्रत (2025 में 12 फरवरी को) विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। इस दिन शिव पूजा करने से व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि, और जीवन में शांति मिलती है।
प्रदोष व्रत की महत्वता:
प्रदोष व्रत भगवान शिव की पूजा का एक महत्वपूर्ण अवसर होता है जो हर माह की त्रयोदशी तिथि को आता है। यह व्रत मुख्य रूप से भगवान शिव के पूजन, व्रत और उपवास के माध्यम से किया जाता है। माघ माह का प्रदोष व्रत विशेष रूप से अधिक फलदायक माना जाता है क्योंकि इस समय वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
शिव पूजन की विधि:
1. उपवास और शुद्धता: प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। दिनभर उपवास रखें और केवल फलाहार करें।
2. पूजा का समय: प्रदोष व्रत का पूजन सूर्योदय के बाद से लेकर सूर्यास्त तक किया जा सकता है। खासतौर पर सूर्यास्त से पहले पूजन करने का अधिक महत्व है।
3. गंगाजल का उपयोग: पूजन में गंगाजल का उपयोग करें और उसे भगवान शिव के सामने छिड़कें। इससे वातावरण शुद्ध होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
4. शिवलिंग का पूजन: घर में शिवलिंग स्थापित करके उस पर जल, दूध, शहद, शक्कर और घी अर्पित करें। साथ ही, बेल पत्र, फूल और चन्दन का प्रयोग करें।
5. महामृत्युंजय मंत्र का जाप: इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष रूप से किया जाता है। इसे 108 बार जाप करें और भगवान शिव से अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करें।
6. भोग अर्पित करना: पूजा के बाद शिवलिंग पर मीठे पकवान जैसे खीर, लड्डू या फल अर्पित करें।
7. ध्यान और प्रार्थना: पूजा के दौरान मन को शांत रखें और भगवान शिव के प्रति श्रद्धा भाव से प्रार्थना करें। उनका ध्यान करें और उनकी कृपा प्राप्त करने का संकल्प लें।
स्वास्थ्य लाभ:
प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव की पूजा से व्यक्ति के शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसे नियमित रूप से करने से मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य, और समृद्धि प्राप्त होती है।
माघ माह के प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव की कृपा से व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक समस्याओं का समाधान हो सकता है। विशेषकर उन लोगों के लिए यह व्रत बहुत लाभकारी माना जाता है जो स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से परेशान हैं।