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बाढ़ की त्रासदी ने सबकुछ किया बर्बाद , शमशान में रहने को मजबूर परिवार

  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Admin
  • Updated: August 14, 2021

इटावा : बाढ़ की त्रासदी ने सबकुछ किया बर्बाद, कच्चा घर और मवेशी बाढ़ के पानी मे बहने के बाद एक परिवार शमशान में रहने को मजबूर, जानकारी मिलने पर मौके पर पहुँचे इटावा सांसद ने मोके पर पहुँचकर पीड़ित परिवार को घर और ज़मीन दिलवाने के किया वादा, इटावा में चकरनगर के यमुना नदी किनारे डिभोली गाँव के रहने वाले ज्ञान सिंह अपनी पत्नी और 5 बच्चो को लेकर रह रहे शमशान में,

 इटावा के चकरनगर एवं बढ़पुरा ब्लॉक में चम्बल एवं यमुना मे बाढ़ की त्रासदी से कई परिवार बेघर हुए तो कई परिवार बाढ़ से बचने के लिए अपने कच्चे एवं पक्के को छोड़ 6-7 दिन तक मिट्टी के ऊंचे टीलों पर रहने को मजबूर हुए लेकिन इटावा के चकरनगर तहसील में डीभौली गांव का ज्ञान सिंह का परिवार यमुना नदी के पास खेतों में कच्चा घर बनाकर रह रहे थे रात्रि में अचानक बाढ़ आ जाने से घर में पानी घुस गया घर का सारा सामान बहने लगा मवेशियों ने जब अपनी आवाज़ में शोर मचाना शुरू किया तब ज्ञान सिंह की आंख खुली देखा तो कच्चा घर पूरी तरह पानी मे डूब चुका था मवेशी पानी में डूबने लगे तो आनन-फानन में गृहस्थी को बचाने के लिए मवेशियों को निकालने लगे और वह पुल के पास बने अंत्येष्टि स्थल पर अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए पहुंच गए।

 ज्ञान सिंह ने बताया कि उनके 5 बच्चे हैं और वह मजदूरी करके अपना पेट पालते थे लेकिन बाढ़ की त्रासदी में उनकी गृहस्थी का बहुत सा सामान बह गया और दो बकरियां भी उनकी पानी में बह गई, आनन-फानन में उन्होंने अपना गृहस्थी का बड़ा सामान तो बचा लिया। सदस्यों को भी सुरक्षित निकाल लिया और मवेशियों को बचाने के लिए वह परिवार सहित घर के पास बने अंत्येष्टि स्थल पर पहुंच गए, कहीं ठिकाना नहीं मिला तो उन्होंने श्मशान स्थल को ही अपना आशियाना बना लिया, आनन फानन में शमशान में रहने का फैसला तो ले लिया लेकिन दैनिक दिन चर्या की जो ज़रूरतें होती है वो यहां पूरी नही हो सकती लेकिन कर भी क्या सकते है सर छुपाने के लिए 5 बच्चो को लेकर कहाँ जाए तो शमशान के एक कोने में पड़े टीन शेड को ही घर बना लिया पानी की समस्या साथ में रात्रि में अंधेरे की समस्या से प्रतिदिन जूझते हैं।

 ज्ञान सिंह की पत्नी ममता देवी ने बताया कि गृहस्थी का सामान चकिया चूल्हा सब कुछ पानी में बह गया, किसी तरह से एक रिश्तेदार ने गैस का चूल्हा और सिलेंडर भिजवाया है उन्होंने वहीं शमशान पर ही ईंट का चूल्हा बनाया है। पास में ही जब कोई मिट्टी आती है तो बच्चो को और खुद को उस दिन और रात में बहुत डर भी लगता है उनको ना तो प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का घर मिला, ना ही पंचायत की तरफ से किसी प्रकार का शौचालय प्राप्त हुआ था, उनके पास जमीन ना होने के कारण उन्होंने नदी के किनारे एक खेत में अपना कच्चा आशियाना बनाया था जो बाढ़ में खत्म हो चुका है। अब परिवार चलाने के लिए समस्याओं का डेरा बन चुका है और श्मशान स्थल ही बसेरा बना<

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