कैनविज टाइम्स, अन्तर्राष्ट्रीय डेस्क। भारत और फ्रांस के बीच एक ऐतिहासिक रक्षा सौदा हुआ है, जिसके तहत भारत अब फ्रांस से 26 राफेल मरीन (Rafale-M) विमान खरीदेगा। यह सौदा 63,000 करोड़ रुपये की रकम में साइन हुआ है और भारतीय नौसेना की ताकत को और बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगा। दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने इस सौदे पर मुहर लगाई है, और यह भारत की फ्रांस के साथ अब तक की सबसे बड़ी डिफेंस डील मानी जा रही है।
राफेल मरीन की खासियत:
राफेल मरीन विमान, जो कि फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन कंपनी द्वारा निर्मित है, भारतीय नौसेना के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होगा। इस विमान को विशेष रूप से भारतीय नौसेना के विमान वाहक पोत INS विक्रांत के लिए डिजाइन किया गया है। राफेल मरीन की कुछ मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
पानी में स्की-जंप टेक-ऑफ क्षमता: राफेल मरीन विमान को समुद्र में स्थित विमान वाहक पोत से टेक-ऑफ करने की खासियत प्राप्त है। इसे स्की-जंप टेक-ऑफ क्षमता प्राप्त है, जिससे यह एयरक्राफ्ट कैरियर से प्रभावी रूप से उड़ान भर सकता है।
शक्तिशाली मल्टी-रोल क्षमताएं: राफेल मरीन का मल्टी-रोल क्षमता भारतीय नौसेना के लिए विशेष रूप से उपयोगी होगी। यह विमान विभिन्न प्रकार के मिशन जैसे कि हवा से हवा में मुकाबला, जमीनी हमला और समुद्र पर हमला करने के लिए उपयुक्त है।
बेहतर रेंज और पेलोड: यह विमान लंबी दूरी तक उड़ान भरने और अधिक पेलोड ले जाने की क्षमता रखता है, जो भारतीय नौसेना की युद्ध क्षमता को और भी बढ़ा देगा।
अत्याधुनिक तकनीक: राफेल मरीन में सबसे उन्नत एवियोनिक्स, सेंसर और हथियार प्रणालियाँ हैं, जो इसे युद्धक्षेत्र में अत्यधिक प्रभावी बनाती हैं।
भारतीय नौसेना के लिए उपयुक्त: भारतीय नौसेना के विमान वाहक पोत INS विक्रांत के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया राफेल मरीन विमान अपनी विशेषताओं के कारण नौसेना के बेड़े को मजबूती प्रदान करेगा।
सौदे का महत्व:
यह सौदा भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और भारत के सैन्य प्रयासों को नई दिशा देगा। इस डील के तहत 26 राफेल मरीन विमान की आपूर्ति की जाएगी, जिसमें 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर विमान शामिल हैं। यह सौदा भारतीय नौसेना के युद्धक बेड़े को उन्नत करने के लिए किया गया है, जिससे भारतीय नौसेना अपनी समुद्री सुरक्षा में और भी प्रभावी हो सकेगी।
फ्रांस को यह सौदा पूरा करने के लिए 37 महीनों के भीतर पहले राफेल मरीन विमान की आपूर्ति करनी होगी। राफेल मरीन के अतिरिक्त, भारतीय नौसेना के पास पहले से ही राफेल एयरफोर्स के संस्करण उपलब्ध हैं, जो पहले से ही भारतीय वायु सेना में सेवा में हैं।