कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क।2025 में मौनी अमावस्या 9 फरवरी को मनाई जाएगी, और इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे कुंभ मेला या संगम पर लाखों श्रद्धालु स्नान करने के लिए आते हैं। मौनी अमावस्या को धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है, खासकर संगम (प्रयागराज) में, जहाँ भक्त गंगा, यमुन, और सरस्वती नदियों के संगम में स्नान करते हैं। इस दिन को मौन व्रत रखने और गंगा स्नान करने से आत्मिक शांति और पापों का नाश होता है, इसलिए लाखों लोग इस दिन को बड़े श्रद्धा भाव से मनाते हैं।
श्रद्धालुओं की संख्या
अधिकारियों का अनुमान है कि इस दिन 8 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर स्नान करेंगे। यह संख्या आमतौर पर हर साल बढ़ती जा रही है, और प्रशासन ने इसके लिए व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं। मौनी अमावस्या का दिन खासकर उन श्रद्धालुओं के लिए होता है, जो गंगा में डुबकी लगाकर अपने पापों का नाश और पुण्य प्राप्त करना चाहते हैं।
मेला प्रशासन की तैयारियां
प्रयागराज मेला प्रशासन इस अवसर पर आने वाली भारी संख्या को देखते हुए सभी आवश्यक तैयारियों में जुटा हुआ है। प्रमुख तैयारियों में शामिल हैं:
1. सुरक्षा व्यवस्था: मेला क्षेत्र में भारी पुलिस बल की तैनाती की जाएगी, साथ ही ड्रोन और सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से निगरानी की जाएगी।
2. स्वास्थ्य सेवाएं: प्राथमिक चिकित्सा कक्षों की संख्या बढ़ाई जाएगी और चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर किया जाएगा।
3. साफ-सफाई और जल आपूर्ति: संगम क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में सफाई और जल आपूर्ति की पूरी व्यवस्था की जाएगी ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
4. पार्किंग और यातायात व्यवस्था: मेला क्षेत्र में आने-जाने के लिए पार्किंग स्थलों और परिवहन की बेहतर व्यवस्था की जाएगी ताकि भीड़-भाड़ में कोई समस्या न हो।
5. प्रकाश व्यवस्था: रात के समय भी मेला क्षेत्र में उचित प्रकाश व्यवस्था की जाएगी ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत न हो।
6. विशेष स्नान घाटों की तैयारी: संगम पर विशेष स्नान घाट बनाए जाएंगे ताकि श्रद्धालुओं को स्नान करने में कोई कठिनाई न हो।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
मौनी अमावस्या पर मौन रहकर गंगा स्नान करने का धार्मिक महत्व है। माना जाता है कि इस दिन अगर श्रद्धालु पूरी श्रद्धा से गंगा में डुबकी लगाते हैं तो उनका जीवन शुद्ध होता है और उनके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। कई लोग इस दिन उपवासी रहते हैं और ध्यान, साधना करते हुए आध्यात्मिक उन्नति की कामना करते हैं।