कैनविज टाइम्स,धर्म डेस्क।
शनि देव की पूजा और शनि चालीसा का पाठ, विशेष रूप से शनिवार को करने से शनि के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिल सकती है और जीवन में सुख-समृद्धि आ सकती है। लेकिन शनि चालीसा का पाठ करने से पहले कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है, ताकि पूजा सही तरीके से संपन्न हो और उसका लाभ प्राप्त हो सके।
शनि चालीसा के पाठ से पहले के महत्वपूर्ण नियम:
1. शुद्धता और पवित्रता:
शनि चालीसा का पाठ करने से पहले शुद्धता का ध्यान रखें। स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को स्वच्छ करें। मानसिक शुद्धता भी जरूरी है, इस दौरान किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचारों से बचें।
2. उचित समय:
शनि चालीसा का पाठ विशेष रूप से शनिवार के दिन किया जाता है, लेकिन शनि की पूजा और चालीसा का पाठ सूर्योदय से पूर्व या शाम के समय भी किया जा सकता है। शनिवार को ही शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
3. दीप और तेल का महत्व:
पूजा स्थल पर दीपक जलाना और सरसों के तेल का दीपक रखना शनि पूजा में विशेष महत्व रखता है। शनि देव तेल को पसंद करते हैं, इसलिए तेल का दीपक जलाकर शनि चालीसा का पाठ करना शुभ होता है।
4. शनि देव का चित्र या प्रतिमा:
शनि चालीसा का पाठ करने से पहले शनि देव का चित्र या प्रतिमा पूजा स्थल पर रखें। शनि देव की मूर्ति का स्थान पूर्व या पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
5. सही विधि से पाठ:
शनि चालीसा का पाठ 11, 21 या 108 बार करें। यदि संभव हो, तो हर शनिवार को यह पाठ नियमित रूप से करें, ताकि शनि देव की कृपा प्राप्त हो सके।
6. राहु-केतु के प्रभाव:
यदि व्यक्ति का जन्मपत्रिका में शनि की दोष स्थितियां हैं, तो उन्हें शनि चालीसा का नियमित पाठ करना चाहिए। साथ ही, राहु-केतु के दोषों से मुक्ति के लिए भी शनि चालीसा प्रभावी साबित हो सकती है।
7. सत्कर्म और दान:
शनि चालीसा का पाठ करते समय और पूजा के बाद जरूरतमंदों को दान देना महत्वपूर्ण है। काले तिल, उड़द की दाल, सरसों का तेल, जूते-चप्पल, या काले वस्त्रों का दान शनि के प्रभाव को शांति में बदलने के लिए किया जाता है।
8. सतर्कता और ध्यान:
पूजा के दौरान ध्यान रखें कि किसी प्रकार की जल्दबाजी ना हो, और न ही कोई अव्यवस्था हो। शांति और ध्यान से पाठ करें, ताकि शनि देव की कृपा प्राप्त हो।