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सुरक्षा या पाबंदी? जेएनयू में फेस रिकग्निशन पर बवाल बढ़ा

नई दिल्ली
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kritika pandey
  • Updated: August 23, 2025

कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क । 

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के डॉ. बीआर अंबेडकर केंद्रीय पुस्तकालय में फेस रिकग्निशन सिस्टम लागू करने को लेकर शुक्रवार को बड़ा विवाद खड़ा हो गया। छात्रों ने नई प्रवेश प्रणाली का विरोध करते हुए जमकर हंगामा किया और गेट का शीशा तोड़ डाला। हालात बिगड़ने पर प्रशासन ने पुलिस बुला ली, जिसके बाद छात्र संघ ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान कर दिया। छात्र संघ अध्यक्ष नीतीश कुमार और अन्य छात्र इंटरनेट मीडिया पर वायरल वीडियो में गेट का शीशा तोड़ते नज़र आ रहे हैं। इसी दौरान नीतीश कुमार घायल हो गए और उनके पैर में टांके लगाने पड़े। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन बिना सहमति के फेस रिकग्निशन सिस्टम थोप रहा है, जबकि छात्रों की मांग है कि इस मशीन को हटाकर बुनियादी सुविधाएं सुधारी जाएं। छात्र संघ ने कुल 11 माँगें रखी हैं, जिनमें पुस्तकालय की क्षमता बढ़ाना, दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष व्यवस्था और कार्यवाहक लाइब्रेरियन का इस्तीफ़ा शामिल है। छात्र संघ उपाध्यक्ष मनीषा ने कहा कि शीशा तोड़ना मजबूरी थी क्योंकि छात्रों को बाहर निकलने का रास्ता नहीं दिया जा रहा था। उनका कहना है कि मकसद संपत्ति को नुकसान पहुंचाना नहीं, बल्कि बाहर निकलना था। वहीं, पुस्तकालय प्रशासन का कहना है कि फेस रिकग्निशन सिस्टम सुरक्षा और अनुशासन बनाए रखने के लिए ज़रूरी है। लाइब्रेरियन मनोरमा त्रिपाठी ने छात्रों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह तकनीक तीन साल की प्रक्रिया और मंज़ूरी के बाद लागू की गई है। उन्होंने नीतीश कुमार पर "गुंडागर्दी" का आरोप लगाया और कहा कि 80 प्रतिशत छात्र इस सिस्टम के पक्ष में हैं। जेएनयू परिसर में यह विवाद अब सिर्फ़ तकनीकी व्यवस्था तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसे छात्र अधिकार बनाम सुरक्षा व्यवस्था की लड़ाई के तौर पर देखा जा रहा है। एक ओर प्रशासन नियंत्रित प्रवेश पर ज़ोर दे रहा है, वहीं छात्र संघ इसे आज़ादी पर अंकुश बताकर विरोध कर रहा है।

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