कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। बिहार में महागठबंधन पर पहले से मंडरा रहे संशय के बादल अब छंट गए हैं। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की हालिया मुलाकात ने इस सवाल का जवाब दे दिया कि आगामी विधानसभा चुनाव में दोनों दल एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। यह मुलाकात विरोधियों के लिए बड़ा संदेश साबित हुई है, खासकर उन लोगों के लिए जो महागठबंधन को तोड़ने की कोशिशों में थे।
विरोधियों को मिला संदेश
दूसरी ओर, विरोधियों को संदेश भी मिल गया कि इतना आसान नहीं 25 वर्षों से एक साथ चल रहे दो दलों को अलग करना। दरअसल, वर्षों से साथ चल रहे राजद-कांग्रेस में उस वक्त दूरी बढ़ती दिखी जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आईएनडीआईए के नेतृत्व पर सवाल उठाए और खुद नेतृत्व संभालने की इच्छा जाहिर की।
लालू ने किया ममता बनर्जी का समर्थन
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने भी कांग्रेस के साथ अपने और पार्टी के संबंधों की परवाह किए बिना तत्काल ममता बनर्जी का समर्थन किया और कहा कि वे आईएनडीआईए का नेतृत्व करने में सक्षम हैं और उन्हें यह जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।
राहुल गांधी ने बनाए रखा धैर्य
बात नहीं रुकी। जो कसर बच रही थी उसे तेजस्वी ने यह कहकर पूरा कर दिया कि आईएनडीआईए का गठन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था। बिहार के दो प्रमुख नेताओं का ऐसा बयान आने के बाद भी राहुल गांधी ने धैर्य बनाए रखा। उनकी या उनकी पार्टी की ओर से इस बयान का कोई विरोध नहीं किया गया। आईएनडीआईए में चल रही इस राजनीतिक बयानबाजी को एनडीए एलायंस अपने फायदे से जोड़कर देख रहा था, लेकिन इस बीच राहुल गांधी की बिहार यात्रा ने पूरी कहानी ही उलट दी।