कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।
झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को 1984 सिख दंगा पीड़ित मुआवजा मामले में वन मैन कमीशन की सभी आवश्यक सुविधाओं को जारी रखने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ा रुख अपनाया कि आयोग स्वतंत्र रूप से और बिना किसी बाधा के काम कर सके। अगली सुनवाई मार्च 2026 में होगी। झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वन मैन कमीशन को स्टेनोग्राफर, कंप्यूटर टाइपिस्ट और नोडल अधिकारी जैसी सभी आवश्यक सुविधाएं अविलंब उपलब्ध कराई जाएं। झारखंड में 1984 के सिख दंगों से प्रभावित लोगों को मुआवजा देने और दंगों से संबंधित आपराधिक मामलों की निगरानी के लिए सतनाम सिंह गंभीर की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता शाहबाज अख्तर ने अदालत को बताया कि वन मैन कमीशन को सभी सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं, जिस पर अदालत ने सरकार को आयोग को दी गई सुविधाएं जारी रखने और उनसे कोई सुविधा वापस न लेने का निर्देश दिया। पिछली सुनवाई में हस्तक्षेपकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया था कि मामले में उच्च न्यायालय की ओर से गठित एक सदस्यीय आयोग को अभी तक स्टेनोग्राफर, कंप्यूटर टाइपिस्ट, नोडल अधिकारी आदि कई सुविधाएं नहीं मिली हैं।, जिस पर सरकार की ओर से कहा गया था कि मुआवज़ा भुगतान की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। एक सदस्यीय आयोग द्वारा अनुशंसित 41 पीड़ितों में से 39 पीड़ितों को मुआवज़ा दिया जा चुका है। वहीं, याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया था कि आयोग ने राज्य सरकार को चार जिलों में सिख दंगा पीड़ितों को मुआवजा देने का निर्देश दिया है, जिसपर राज्य सरकार ने कहा था कि उच्च न्यायालय की ओर से गठित एक सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट के तहत मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया चल रही है। गौरतलब है कि सिख दंगों की जांच के लिए उच्च न्यायालय के आदेश पर सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति डीपी सिंह की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया गया है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है। आयोग ने सिख दंगों से प्रभावित झारखंड के चार जिलों रांची, रामगढ़, बोकारो और पलामू के लोगों को मुआवजा देने के संबंध में सिफारिश की है।
