कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।
भारत में मिठाइयों का इतिहास जितना पुराना है, उतना ही गहराई से वह संस्कृति और परंपरा से जुड़ा है। हर मिठाई के नाम और स्वाद के पीछे कोई न कोई कहानी जरूर होती है। ऐसी ही एक मशहूर मिठाई है 'मैसूर पाक', जो इन दिनों नाम को लेकर विवादों में है। जयपुर के कुछ मिठाई दुकानदारों ने इसका नाम बदलकर 'मैसूर श्री' रखने की बात कही है, जिससे सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। दुकानदारों का कहना है कि यह बदलाव देशभक्ति की भावना से प्रेरित है। हाल में हुए आतंकी हमलों और सैन्य कार्रवाइयों के बाद 'पाक' शब्द सुनते ही कुछ लोगों को पाकिस्तान की याद आने लगी है। इसी भावना के तहत 'आम पाक' को 'आम श्री', 'गोंद पाक' को 'गोंद श्री' और 'मैसूर पाक' को 'मैसूर श्री' कहा जाने लगा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या 'मैसूर पाक' में 'पाक' शब्द का पाकिस्तान से कोई लेना-देना है? इस सवाल का जवाब है- नहीं। वास्तव में 'पाक' शब्द का संबंध पाक कला यानी खाना पकाने की विधि से है। कन्नड़ भाषा में 'पाका' का अर्थ होता है चाशनी या पकाना। मैसूर पाक नाम की यह मिठाई पहली बार कर्नाटक के मैसूर शहर में बनी थी, जिसमें बेसन, घी और चीनी की चाशनी का खास इस्तेमाल होता है। इसलिए इसका नाम 'मैसूर पाक' पड़ा। इतना ही नहीं, 'पाक' शब्द की जड़ें फारसी भाषा से भी जुड़ी हैं, जहां इसका अर्थ 'पवित्र' या 'मीठा व्यंजन' होता है। हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में भी यह शब्द शुद्धता और मिठास का प्रतीक है। इसलिए यह कहना गलत होगा कि 'मैसूर पाक' का नाम किसी देश विशेष से जुड़ा है। यह मिठाई न केवल दक्षिण भारत की पहचान है, बल्कि इसकी पाक विधि और स्वाद भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा भी हैं।