कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।
आज 2 जून है और इस तारीख को लेकर एक दिलचस्प संयोग सोशल मीडिया और आम बातचीत में बार-बार सामने आता है। लोग सोचते हैं कि मशहूर कहावत ‘दो जून की रोटी’ का ताल्लुक 2 जून की तारीख से है। लेकिन क्या वाकई ऐसा है? दो जून की रोटी’ एक पुरानी अवधी कहावत है जिसका असली मतलब आम जिंदगी की बुनियादी ज़रूरत खाने से जुड़ा हुआ है। यहां "दो जून" का मतलब है दिन में दो वक्त का खाना, यानी सुबह और शाम की रोटी। इस कहावत का इस्तेमाल अक्सर उन हालात को बयां करने के लिए किया जाता है जब कोई इंसान अपनी ज़िंदगी की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा हो। यह कहावत गरीबी, बेरोजगारी और मेहनत की सच्चाई को उजागर करती है। कई लोगों को गलतफहमी होती है कि यह कहावत 2 जून की तारीख से जुड़ी है, लेकिन यह सिर्फ एक भाषा संबंधी भ्रम है।इसलिए जब अगली बार आप ‘दो जून की रोटी’ कहावत सुनें, तो जान लीजिए कि इसका रिश्ता किसी खास तारीख से नहीं, बल्कि आम आदमी की रोजमर्रा की जिंदगी और उसकी जद्दोजहद से है।