कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।
लद्दाख की शांत वादियों में स्थित गुरुद्वारा पत्थर साहिब न सिर्फ खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपने चमत्कारिक इतिहास की वजह से हर श्रद्धालु के मन में विशेष स्थान रखता है। यह पवित्र स्थल गुरु नानक देव जी की लद्दाख यात्रा से जुड़ा है, जो सन् 1517 में भूटान, नेपाल और चीन होते हुए लोगों के कल्याण हेतु यहां पहुंचे थे। स्थानीय लोगों ने गुरु नानक देव जी को बताया कि पास की पहाड़ी पर एक राक्षस रहता है, जो ग्रामीणों को परेशान करता था। तब गुरु जी ने नदी के किनारे आसन लगाया और लोगों को धैर्य, प्रेम व सद्भाव का संदेश दिया। मान्यता है कि राक्षस ने एक विशाल पत्थर गुरु जी पर फेंका, लेकिन वह पत्थर गुरु जी के शरीर से टकराते ही मोम की तरह मुलायम हो गया और गुरु जी को कोई हानि नहीं हुई। आज भी गुरुद्वारा परिसर में वह पवित्र पत्थर सुरक्षित रखा गया है, जिस पर गुरु जी का आकार स्पष्ट दिखाई देता है। इसी चमत्कार के कारण इस स्थान को पत्थर साहिब नाम दिया गया। हर वर्ष हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचकर गुरु नानक देव जी की इस दिव्य करामात के दर्शन करते हैं और शांति का अनुभव करते हैं।
