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आईएनएस सूरत से एमआरएसएएम मिसाइल का सफल परीक्षण, भारतीय नौसेना की एक और बड़ी उपलब्धि

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  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kanwhiz Times
  • Updated: April 24, 2025

कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। भारतीय नौसेना ने गुरुवार सुबह अपने नवीनतम युद्धपोत आईएनएस सूरत से मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एमआरएसएएम) का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण ओडिशा के तट पर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज, चांदीपुर में किया गया, जहां मिसाइल ने अपने लक्ष्य को सटीक रूप से भेदा और उसे पूरी तरह से नष्ट कर दिया। इस परीक्षण ने यह सिद्ध कर दिया कि आईएनएस सूरत अब जहाज रोधी मिसाइलों को संलग्न करने की क्षमता रखता है।

मुख्य विशेषताएँ:

मिसाइल की क्षमता:

एमआरएसएएम मिसाइल 70 किलोमीटर की अवरोधन सीमा के साथ दुश्मन के हवाई खतरों को नष्ट करने में सक्षम है।

यह मिसाइल लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, ड्रोन और निगरानी विमानों जैसे विभिन्न हवाई खतरों को मार गिराने में सक्षम है।

मिसाइल की गति 2469.6 किलोमीटर प्रति घंटा है, और यह दुश्मन पर तेजी से हमला कर सकती है।

मिसाइल का वजन लगभग 275 किलोग्राम है और लंबाई 4.5 मीटर है, साथ ही इसका व्यास 0.45 मीटर है। इस पर 60 किलोग्राम तक हथियार लोड किए जा सकते हैं।

स्वदेशी रक्षा प्रणाली का निर्माण: एमआरएसएएम को डीआरडीओ और इजरायली एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) ने मिलकर विकसित किया है। यह मिसाइल प्रणाली हर मौसम में 360 डिग्री पर काम करने वाली हवाई रक्षा प्रणाली है, जो किसी भी संघर्ष क्षेत्र में संवेदनशील क्षेत्रों की हवाई सुरक्षा करेगी।

आईएनएस सूरत की ताकत: भारतीय नौसेना के कैप्टन विवेक मधवाल ने इस सफल परीक्षण के बाद कहा कि यह भारतीय नौसेना के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इससे यह साबित होता है कि भारत स्वदेशी युद्धपोत डिजाइन, विकास और संचालन में अपनी बढ़ती ताकत को स्थापित कर रहा है, और यह आत्मनिर्भर भारत के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम: इस परीक्षण से भारत की रक्षा क्षमता और आत्मनिर्भरता का पता चलता है, जो भारतीय नौसेना की समुद्री सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। भारत डायनामिक्स लिमिटेड में निर्मित यह मिसाइल प्रणाली आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और ठोस कदम है।

भारतीय सेना की नई तैयारी: भारतीय सेना ने अपनी वायु रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए पूर्वी थिएटर में अपनी पहली मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रेजिमेंट की स्थापना की है। यह रेजिमेंट लड़ाकू विमानों, यूएवी, और अन्य हवाई खतरों से भारत की रक्षा करेगी। इसके अलावा, बराक-8 मिसाइल प्रणाली (एमआरएसएएम) को भारतीय वायुसेना में भी शामिल किया जा चुका है।

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