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पहले नेमप्लेट हटाकर अजीत ने चाचा शरद से बनाई दूरी, फिर बंद कमरे में की सीक्रेट मीटिंग; महाराष्ट्र में चल क्या रहा है?

महाराष्ट्र
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kanwhizz Times
  • Updated: January 24, 2025

कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क।महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों कुछ दिलचस्प घटनाक्रम सामने आ रहे हैं। सियासी हलकों में इस समय एक सवाल गूंज रहा है: "महाराष्ट्र में आखिर क्या चल रहा है?" यह सवाल तब और भी दिलचस्प हो गया, जब अजीत पवार ने नेमप्लेट हटाकर चाचा शरद पवार से अपनी दूरी बनाई और इसके बाद बंद कमरे में एक सीक्रेट मीटिंग की। यह घटनाएं महाराष्ट्र की राजनीति के नए मोड़ को दर्शाती हैं और कुछ सवालों को जन्म देती हैं।

नेमप्लेट हटाने से संकेत
अजीत पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के दफ्तर में अपनी नेमप्लेट हटाकर यह स्पष्ट संकेत दिया कि वह अपने चाचा शरद पवार से राजनीतिक तौर पर अलग हो रहे हैं। यह कदम पार्टी में अंदरूनी असंतोष और संबंधों में खटास को दर्शाता है। अजीत पवार का यह कदम कई राजनीतिक विश्लेषकों के लिए हैरान करने वाला था, क्योंकि शरद पवार और अजीत पवार के रिश्ते हमेशा से मजबूत रहे हैं। हालांकि, अब यह स्पष्ट हो चुका है कि अजीत पवार कुछ नए सियासी रास्तों पर चलने की सोच रहे हैं।

सीक्रेट मीटिंग: नया समीकरण?
नेमप्लेट हटाने के बाद, अजीत पवार ने शरद पवार से अपनी दूरी और भी बढ़ाई और फिर एक बंद कमरे में सीक्रेट मीटिंग की। इस मीटिंग को लेकर सियासी हलकों में चर्चाएं तेज हो गईं हैं। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, अजीत पवार ने इस मीटिंग में राज्य की सत्ता के नए समीकरण पर चर्चा की और यह संकेत दिए कि वह भा.ज.पा. (BJP) से गठबंधन करने पर विचार कर रहे हैं। इस मीटिंग में अजीत पवार ने अपने करीबी सहयोगियों को भी शामिल किया, जिससे यह और भी अधिक रहस्यमय बन गया।

राजनीतिक भविष्य का इशारा
अजीत पवार के इस कदम को लेकर विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के बीच कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ का मानना है कि अजीत पवार भाजपा के साथ एक नया गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। वहीं, कुछ का कहना है कि यह केवल एक अंदरूनी राजनीतिक खींचतान का हिस्सा है, और जल्द ही सबकुछ शांत हो जाएगा।

शरद पवार की प्रतिक्रिया
शरद पवार ने अजीत पवार के इस कदम पर अभी तक सार्वजनिक रूप से कोई कठोर प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उनके समर्थकों का कहना है कि यह सब व्यक्तिगत और परिवारिक मतभेदों के कारण हो रहा है। हालांकि, शरद पवार का नाम हमेशा से महाराष्ट्र की राजनीति में महत्वपूर्ण रहा है, और वह इस स्थिति को राजनीतिक रूप से संभालने में माहिर माने जाते हैं।

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